भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव हमेशा ही एक जटिल प्रक्रिया रहे हैं। इसे सरल बनाने के लिए चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का प्रयोग करता है। ताकि चुनाव की प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सके।
हालांकि ईवीएम की ट्रांसपेरेसी को लेकर अक्सर राजनीतिक लोग सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन अभी तक यह आधिकारिक तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने भी इस बात को नकार दिया है।
ईवीएम की थोड़ी बहुत जानकारी वोटर को होती है। मसलन वोट कैसे देना है? यह काम कैसे करती है? लेकिन ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं होता है कि EVM में किस पार्टी के कैंडिडेट को किस स्थान पर रखना है।
यानी किस नंबर पर कौन से कैंडिडेट का नाम होगा? आखिर कैंडिडेट का नाम मशीन में किस क्रम में रखा जाता है? यह जानकारी देने से पहले हम आपको यह बता देते हैं आखिर EVM काम कैसे करती है?
कैसे ईवीएम काम करती है?
एक ईवीएम दो यूनिट से मिलकर बनती है। पहली कंट्रोल यूनिट और दूसरी बैलेटिंग यूनिट। दोनों यूनिट 5 मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं। कंट्रोल यूनिट बूथ में मतदान अधिकारी के पास रखी होती है जबकि बैलेटिंग यूनिट वोटिंग मशीन के अंदर होती है जिसका इस्तेमाल वोटर करता है। कंट्रोल यूनिट के लिए जिस प्रोग्राम का इस्तेमाल होता है, उसे एक माइक्रोचिप में डाला जाता है।
माइक्रो चिप में डालने के बाद उस प्रोग्राम को न पढ़ा जा सकता है, न कॉपी किया जा सकता है और न ही इसमें छेड़छाड़ करके कुछ बदला जा सकता है। चुनाव होने के बाद मतदान अधिकारी ‘close’ बटन को दबाकर ईवीएम को बंद कर देता है। ‘close’ बटन दबाने के बाद ईवीएम पूरी तरह से बंद हो जाती है और इसके बाद कोई बटन काम नहीं करती है।
इसके बाद प्रिसाइडिंग ऑफिसर दोनों यूनिट को अलग कर देते हैं। वोट बैलटिंग यूनिट में सुरक्षित हो जाते हैं। इसके बाद काउंटिंग के वक्त ईवीएम की ‘Result’ बटन दबाते ही इसमें पड़े मत डिस्प्ले हो जाते हैं। यह बटन sealed होती है और बिना क्लोज बटन दबाए यह काम नहीं करती है।
एक ईवीएम में कितने कैंडिडेट्स?
एक ईवीएम में ज्यादा से ज्यादा 64 उम्मीदवारों के लिए वोटिंग की जा सकती है। यानी एक मशीन में 64 कैंडिडेट का नाम दर्ज किया जा सकता है। दरअसल, एक बैलेटिंग यूनिट में 16 कैंडिडेट्स के लिए वोटिंग की जा सकती है और एक कंट्रोल यूनिट से 4 से ज्यादा बैलटिंग यूनिट को नहीं जोड़ा सकता है।
अगर उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा होती है तो फिर चुनाव आयोग को बैलेट से चुनाव कराना पड़ सकता है। वहीं 2013 के बाद बनी M3 ईवीएम में 384 कैंडिडेट्स का नाम फिट किया जा सकता है। हालांकि इसे अभी चुनाव आयोग ने अपने बेड़े में शामिल नहीं किया है।
कितने वोट डाले जा सकते हैं?
एक ईवीएम में सिर्फ 3,840 वोट डाले जा सकते हैं। दरअसल, भारत में एक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1,500 से ज्यादा नहीं होती है। इस हिसाब से एक ईवीएम एक मतदान केंद्र के लिए पर्याप्त होती है।
कहां बनती है ईवीएम?
ईवीएम का डिजाइन चुनाव आयोग ने सरकारी क्षेत्र की दो कंपनियों-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), हैदराबाद के साथ मिलकर किया है।
ईवीएम को काफी कवायद के बाद अंतिम रूप दिया गया है। कई बार इसके नमूनों का परीक्षण हुआ और व्यापक पैमाने पर फील्ड ट्रायल किया गया। अब ईवीएम का निर्माण बीईएल और सीआईएल द्वारा किया जा रहा है।
एक ईवीएम पर कितना खर्च?
1989-1990 में जब मशीनों को खरीदा गया था तो उस समय एक ईवीएम की कीमत 5,500 रुपये पड़ी थी। हालांकि शुरुआत में काफी खर्च करना पड़ा लेकिन बैलेट के मुकाबले यह सस्ता था। लाखों बैलेट की छपाई, उनके भंडारण और परिवहन पर बहुत खर्च करना पड़ता था।
बैलट के रखरखाव के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात करना पड़ता था। यानी कुल मिलाकर बैलेट काफी महंगा सौदा था। ईवीएम में इनविल्ट बैट्री होती है। इसे ऑपरेट करने के लिए किसी तरह की बिजली की जरूरत भी नहीं होती है।
किस कैंडिडेट का नाम किस नंबर पर?
हमने आपको बताया कि ईवीएम क्या होती है? कैसे काम करती है? कितने वोट डाले जाते हैं और इसमें कितने कैंडिडेट्स का नाम फिट हो सकता है? आदि आदि। अब एक सवाल उठता है कि ईवीएम में कौन से कैंडिडेट का नाम किस नंबर पर रखा जाएगा? ये कैसे तय होता है?
हाल में बेगुसराय लोकसभा सीट से सीपीएम के उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने अखबारों में विज्ञापन देकर उन्हें जिताने की अपील की थी। विज्ञापन में यह भी लिखा था कि EVM की एक नंबर का बटन दबाकर वोट दें। इसके बाद से सोशल मीडिया पर भी लोगों ने खूब सवाल किए थे कि कन्हैया को कैसे पता कि उन्हें ईवीएम में पहला स्थान मिलेगा। जबकि यह चुनाव आयोग तय करता है।
अलग-अलग राज्यों के लिए अलग तरीका
इस पर कुछ लोगों ने कहा कि यह पार्टी के हिसाब से तय होता है। वहीं कुछ ने कहा कि अल्फाबेट यानी A,B,C,D के आधार पर तय होता है। जबकि ऐसा नहीं है। ईवीएम में कैंडिडेट का नाम उस राज्य की भाषा से तय होता है। यानी अगर वह राज्य हिंदी भाषी है तो वहां पर हिंदी वर्णमाला के हिसाब से ईवीएम में नाम लिखे जाएंगे।
हिंदी वर्णमाला की देवनागरी लिपि में क, ख, ग, घ से नाम तय होते हैं। इसीलिए कन्हैया कुमार ने विज्ञापन में ईवीएम में पहले नंबर पर खुद को रखकर वोट मांगा था। इस सीट पर बीजेपी के गिरिराज सिंह और महागठबंधन ने तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है। गिरिराज और तनवीर हसन के नाम के अक्षर हिंदी वर्णमाला में कन्हैया से बाद वाले अक्षर हैं।
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