गरियाबंद/रायपुर। जिले के सुपेबेड़ा गांव में किडनी की बीमारी से हो रही मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को एक और ग्रामीण की मौत किडनी की बीमारी के चलते हो गई। अब मौतों का आंकड़ा 70 के पार हो गया है और 150 से ज्यादा किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं।
किडनी की बीमारी से हो रही मौतों से गांव में दहशत का माहौल है। गांव में पानी की समस्या को लेकर जांच भी की गई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। पांच पेज की रिपोर्ट के अंतिम पेज पर दर्ज अनुशंसा में गांव को विस्थापित करने की सलाह तक दी गई हैं, लेकिन बावजूद इसके गांव के लोगों को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही सरकार ने कोई ठोस कदम उठाया। निदान के संबंध में भी ग्रामीणों को जानकारी नहीं दी गई है।
यहां के पानी में खतरनाक धातु
सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी हो रही लगातार मौतों के मामले में ये बात सामने आ चुकी है कि जिन 7 घरों से पानी के 15 सैंपल लिए गए थे, सभी में किडनी के लिये घातक कैडमियम व क्रोमियम जैसी धातु होने की पुष्टि हुई है।
यह जांच 2017 में कर ली गई थी, लेकिन इसके बाद भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। क्रोमियम और कैडमियम जैसे धातु से निपटने के लिए शासन के स्तर पर कोई इंतजाम नहीं किया गया। बल्कि करोड़ों रुपए खर्च कर आर्सेनिक और फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाकर खानापूर्ति कर दी गई।
हमारे पास कोई रिपोर्ट नहीं
नेफ्रोलॉजिस्ट का मानना है कि जांच रिपोर्ट में पाए गए हैवी मैटल किडनी की बीमारी को बढ़ाते हैं। अगर जांच में यह बात सामने आई थी तो पीएचई विभाग को इससे निपटने के उपाय किए जाने चाहिए थे। वहीं पीएचई डिपार्टमेंट के ईई का कहना है कि सुपेबेड़ा के पानी में जांच के दौरान कैडमियम व क्रोमियम पाया गया है, ऐसी कोई रिपोर्ट हमारे पास है ही नहीं।
जिन घरों से लिए सैंपल वहां 38 से ज्यादा मरीज
जिन घरों से पानी और मिट्टी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया था वहां 38 से ज्यादा किडनी के मरीज मिले थे। इनमें से 30 की मौत हो चुकी है और 8 अब भी जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं।
लोग छुपा रहे अपनी बीमारी
राज्य के गरियाबंद जिले अंतर्गत आने वाले सुपेबेड़ा गांव की आबादी दो हजार के करीब है। गांव में फैल रही किडनी की बीमारी का खौफ आस-पास के गांवों में इतना फैल गया है कि अब लोग इस गांव के युवक-युवतियों से रिश्ते जोडऩे में भी कतरा रहे हैं। यहीं वजह है कि लोग बीमारी के साथ ही मौतों को भी छुपाने लगे हैं।
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