जगदलपुर। बस्तर में नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का ऐलान किया था। इसके बाद भी आदिवासियों ने लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़चढ़ कर भाग लिया और मतदान किया इससे बौखलाए नक्सली अब आदिवासियों पर दहशत फैलाने कहर ढा रहे हैं।
शनिवार को नक्सलियों का एक दल दरभा के मुंडागढ़ गांव पहुंचकर पूरे गांव को अपने कब्जे में ले लिया। ग्रामीणों को घरों से बाहर निकाल कर वोट न देने की चेतावनी के बावजूद वोट दिए हो कहकर बुरी तरह पिटाई किया। रात में लगभग 8 घंटे तक ग्रामीणों को बंधक बनाकर नक्सलियों ने पिटाई किया। यह सब दरभा डिविजन ने किया है।
ज्ञात को लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नक्सलियों ने विधायक भीमा मंडावी समेत 4 जवानों की हत्या कर दी थी। नक्सलियों ने इसकी जिम्मेदारी भी ली थी। बताया गया कि माओवादियों ने ग्रामीणों से उनके मोबाइल फोन भी जमा करवा लिए थे और बाद में उसे लौटाया भी नहीं। घटना के बाद से गांव वाले दहशत में हैं।
पीडि़त ग्रामीण ने बताया कि वह खाना खाने के बाद घर में आराम कर रहा था। इसी दौरान करीब 8 बजे माओवादियों ने उनके घर को घेर लिया। दरवाजा तोड़कर पांच-छह माओवादी उनके घर के अंदर घुसे और परिवार के सारे लोगों को जबरदस्ती पकड़कर बाहर ले आए। उसके बाद घर के सभी सामान को तोड़ डाला।
इसके बाद गांव के सभी घरों से लोगों को एक स्थान पर लाकर पीटा गया। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में कमलू उनकी निशानदेही पर ही पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया। वे लगातार ग्रामीणों को धमकाते रहे। कई ग्रामीणों के हाथ भी बांधे और उन्हें उलटा लटकाकर रखा। ग्रामीणों से जमकर मारपीट की गई।
झीरम कांड को अंजाम दरभा डिविजन कमेटी ने ही दिया था। घटना के बाद दरभा इलाके में मिशन मोड पर माओवबादियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। माओवादियों का भय कम होता देख ग्रामीण भी सरकार का खुलकर साथ देने लगे थे।
धीरे-धीरे इलाके में माओवादियों की सक्रियता कम हो गई। अब फिर से माओवादी इलाके में पैर पसार रहे हैं। पुलिस सूत्रों की माने तो चांदमेव, मुंडागढ, कोलेंग, तुलसी डॉगरी, भडरीमुहु इलाके में माओबादियों की आमद काफी बढ़ गई है।
घटना के बाद सोमवार को मुंडागढ़ के दहशतजदा ग्रामीण पिकअप में बैठकर शहर पहुंचे और यहां कलेक्टर व एसपी से मुलाकात कर घटना की जानकारी दी। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले पांच से छह माह के बीच गांव में माओवादियों की आमद काफी बढ़ गई है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि पहले की तरह उनके गांव में गश्त नहीं हो रही। माओवादियों का अत्याचार ग्रामीणों पर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने कैंप खोलने की मांग की।
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