रायपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अमित जोगी ने कुछ महत्वपूर्ण विषयों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा हैं। जिसमें उन्होंने कई बातों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि शोरगुल में अक्सर सामाजिक न्याय से वंचित लोगों की आवाज दब जाती है ।
विगत एक हफ़्ते में मेरे संज्ञान में ऐसी दो घटनाए आयी हैं, इन्हें मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूँ । पहली घटना खरसिया के गांव गिद्धा की है । एक 20 वर्षीय बालिका का सामूहिक बलात्कार किया गया । उसके सर पर 40 किलो का पत्थर मारा गया । मस्तिष्क में आई चोट से वो बेहोश हो गयी । क रीब डेढ़ घंटे बाद उसके परिजनों ने उसे मंदिर के समीप उसी अवस्था में पाया।
फिर उसको खरसिया ले गए । खरसिया में उसका इलाज करना संभव नहीं था । दस हजार रुपया लेकर रायगढ़ के शासकीय अस्पताल में पहुँचे । वहां उनको बोला गया कि डॉक्टर न होने के कारण पीडि़ता का इलाज नहीं हो सकता, उसको रायगढ़ के जिंदल समूह द्वारा संचालित अस्पताल भेजा गया ।
वहाँ उसका सीटी स्कैन हुआ लेकिन विशेषज्ञ न होने के कारण उसको वहाँ से रायपुर के एक निजी अस्पताल में रेफ र कर दिया गया । रायपुर में जब पीडि़ता का इलाज चल रहा था तो बहुत दुख की बात है कि कोई भी शासन का प्रतिनिधि या मंत्री उसे देखने नहीं गया। शासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला और अंतत: पीडिता की मृत्यु हो गई ।
सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह के मामलों को संज्ञान में लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को पीडि़ताओ को न्याय दिलाने और तत्कालिक उपचार हेतु अनेको प्रावधान बनाया है । वहीं प्रदेश में लगातार महिलाओं के बढ़ते अपराध के बावजूद उन प्रावधानों और कानूनों का धरातल पर अमल नहीं किया जा रहा है।
वहीं किन्नर समाज को समानता से जीने का अधिकार मिले, इस हेतु राजधानी रायपुर में पहल की गई थी । किन्नरों का विवाह सामान्य घर के लड़कों के साथ किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के भी लोग सम्मिलित हुए । उन्हें आशीर्वाद देने शासन के मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रदेश के अन्य नेता भी उपस्थित हुए।
किन्नरों का आम लोगो के साथ विवाह और उस विवाह की समाज में स्वीकार्यता बेहद सराहनीय है। किन्तु आज हमारे देश में इस प्रकार के विवाह का कोई क़ानूनी वर्चस्व नहीं है । हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस प्रकार की शादी को कानूनी मान्यता देने के आदेश दिए है ।
लोकसभा में भी इस संबंध में निजी सदस्य द्वारा विधेयक लंबित है । इसे राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। तमिलनाडु जैसे राज्यों ने किन्नर समुदाय के लोगों के लिए अलग से क ानूनी प्रावधान बनाए हैं । हमारे छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कानूनों की आवश्यकता है ।
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