चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है। यह नवरात्रि में पूजी जाने वाली मां दुर्गा का दूसरा स्वरुप हैं।ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है।
विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ औ फलदायी होती है। मान्यता है कि जिनका चन्द्रमा कमजोर हो, उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है। इस बार मां के दूसरे स्वरूप की उपासना 7 अप्रैल को की जा रही है।
चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। इस बार नवरात्रि 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक मनाया जाएगा। यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को रामजी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। इसे राम नवमीं भी बोलते हैं। चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
हम आज आपकों मां ब्रह्मचारिणी के बारे में कुछ खास बातें बता रहे हैं।
1. ब्रह्मचारिणी नाम ब्रह्म ने बना है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का मतलब होता है आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
2. ब्रह्मचारिणी मां के दाहिने हाथ में जप करने वाली माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल।
3. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी। इसी वजह से उन्हें तपश्चारिणी भी कहते हैं।
4. ब्रह्मचारिणी की पूजा करते वक्त ये मंत्र पढ़ा जाता है। या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
5. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी देवी का पूजन करने से सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
जानें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि…
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफ़ेद वस्त्र धारण करें। मां को सफ़ेद वस्तुएं अर्पित करें। जैसे- मिसरी, शक्कर या पंचामृत। ज्ञान और वैराग्य का कोई भी मंत्र जपा जा सकता है। लेकिन मां ब्रह्मचारिणी के लिए ओ ऐं नम: का जाप सबसे उत्तम माना जाता है। जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके बाद ओ? श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: का कम से कम 3 माला जाप करें।
नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है। इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं।
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