जगदलपुर। बस्तर संसदीय क्षेत्र में शांति पूर्ण चुनाव कराना प्रशासन और पुलिस के लिए एक चुनौती से कम नहीं है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां पग-पग में खतरा है। नक्सली भी चुनाव का हमेशा विरोध करते रहे हैं। इस बार भी लोकसभा चुनाव का विरोध करते हुए पर्चा फेंके हैं। ग्रामीणों को भी वोट डालने नहीं जाने चेतावनी दी थी।
दूसरी ओर मतदान को लेकर प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने सुदूर क्षेत्रों में बनाए गए मतदान केंद्रों में मतदान कराने के लिए 80 मतदान दलों को हवाई यात्रा से और 4 मतदान दलों को नावों में भेजने की तैयारी की है। वहीं 199 मतदान दलों को पैदल की केन्द्रों तक जाना होगा।
इस संबंध में मतदान अधिकारी डॉ. अय्याज तंबोली के निर्देश पर सभी मतदान दलों को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए नई रणनीति बनाई जा रही है। दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में चार मतदान दलों को इंद्रावती नदी नाव से पार करा कर भेजा जाएगा।
वहीं बीजापुर, चित्रकोट, कोंटा और नारायणपुर के कुछ मतदान दलों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से पहुंचाया जाएगा। इस प्रकार कुल 80 मतदान दल अपने गंतव्य तक हवाई यात्रा कर पहुंचेंगे।
उल्लेखनीय है कि कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मतदान दलों को जिनकी संख्या करीब 40 है, हेलीकॉप्टर के माध्यम से मतदान केंद्र तक पहुंचाया जाएगा। पिछले लोकसभा चुनाव के समय की गई व्यवस्था में कुछ परिवर्तन कर मतदान दलों को भेजे जाने की कार्रवाई की जा रही है।
इसी प्रकार चुनाव संपन्न कराने के लिए करीब 199 मतदान दलों को मतदान केंद्रों पर पैदल ही अपना सामान लेकर जाना होगा। इन मतदान दलों को सुरक्षा बलों की पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाएगी। बस्तर संसदीय क्षेत्र में स्थापित 1878 मतदान केंद्रों में से 1451 ऐसे मतदान केंद्र है जहां पहुंचने में कोई रूकावट नहीं होगी। वहीं शेष मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए थोड़ी असुविधा जरूर होगी।
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