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शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं चांदी की ही बिछिया.. सोने की क्यों नहीं? जानें बड़ी वजह

हिन्दू धर्म में शादी का बेहद खास महत्व होता है. शादी को लेकर तमाम तैयारियां होती हैं. कुंडली मिलाई जाती है, नाड़ी मिलाई जाती है और साथ ही लड़का-लड़की के गुण भी मिलाए जाते हैं. शादी में कोई विघ्न न आए इसके लिए हर वक्त विद्वान पंडित की सलाह भी ली जाती है. यह लगभग सभी हिन्दू धर्म के लोग जानते हैं कि शादी के बाद महिलाएं पैर की उंगलियों में बिछिया पहनती हैं. आइये आपको बताते हैं इसके पीछे की बड़ी वजह के बारे में.

वैसे बिछिया पहनना अब फैसन बन गया है, लेकिन यह शादीशुदा महिला की सबसे बड़ी निशानियों में से एक है. इसे दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है. शादी के बाद दुल्हन को बिछिया पहनने के लिए इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस उसका वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है.

ज्योतिष के विद्वान यह भी कहते हैं कि पत्नी के लिए पति से अच्छे संबंध बने रहें इसलिए उसे दोनों पैरों की दो या तीन उंगलियों में बिछिया पननी चाहिए. बिछिया पहनने से मां लक्ष्मी भी खुश होती हैं. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहे इसलिए भी चांदी की बिछिया पहनना बेहद जरूरी है. इसे रामायण से जोड़कर भी देखा जाता है. जब रावण ने मां सीता का अपहरण किया था तब उन्होंने अपनी बिछिया रास्ते में ही फेंक दी थी. उन्होंने ऐसा इसलिए किया था कि भगवान श्री राम उन्हें आसानी से खोज सकें.

महिलाओं को बिछिया मध्यमा उंगली में जरूरी पहननी चाहिए. इस उंगली का सीधा संबंध दिल से होता है. इस उंगली में चांदी की बिछिया पहनने से आपका चंद्रमा मजबूत होता है. पति-पत्नी के जीवन में शांति बनी रहती है. वैसे भी चांदी के शरीर के लिए अच्छा धातु माना गया है. इससे नेगेटिव एनर्जी दूर जाती है.

अब आपको बताते हैं सोने की पायल या बिछिया पैरों में क्यों नहीं पहननी चाहिए. ऐसा इसलिए कि सोना धातु भगवान विष्णु का धातु माना गया है. सोने की पूजा भी की जाती है, अगर आप सोना पैरों में पहनेंगे तो भगवान विष्णु नाराज हो जाएंगे. और आपको कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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