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गरीबों से सौ सवाल, अमीरों को बिना जांचे ही दे देते हैं लोन : हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों के लोन देने की प्रक्रिया और मापदंड पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि बैंक अरबपति कारोबारियों और मध्यम वर्ग या गरीबों को लोन देने के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाते हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की एक इंजीनियरिंग छात्रा को एजुकेशन लोन देने के आदेश के खिलाफ बैंक की अपील को खारिज करते हुए शुक्रवार को यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा, बैंक पहले तो बिना पर्याप्त सिक्योरिटी के अरबपति कारोबारियों को लोन दे देता है या लेटर्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग पास कर देता है। इसके बाद जब घोटाला सामने आता है और चीजें हाथ से निकल जाती हैं, तो बैंक लोन की रिकवरी के लिए एक्शन लेता है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि दूसरी तरफ मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के मामले में बैंक अलग मापदंड अपनाते हैं। उनसे सारे कागजात लेते हैं और पुख्ता जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं।
जस्टिस केके शशिधरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की डिविजन बेंच ने यह टिप्पणी इंडियन ओवरसीज बैंक (आईएबी) द्वारा एक सिंगल जज के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए की।
बता दें कि 2011-12 के शैक्षणिक सत्र में इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेने वाली तमिलनाडु की एक छात्रा ने इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.45 लाख रुपये के एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई किया था। लेकिन, बैंक ने लोन देने से इनकार कर दिया था। बैंक के लोन देने से इनकार करने पर छात्रा हाईकोर्ट पहुंची थी, जहां सिंगल जज की बेंच ने छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक को लोन मंजूर करने का आदेश दिया।

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