
बिलासपुर। स्थानीय शिक्षा विभाग का एक नया कारनामा सामने आया है। अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही से एक मृत शिक्षक के नाम से महीनों से वेतन जारी किया जा रहा था।
मामला का खुलासा तब हुआ जब मृत शिक्षक के परिजनों द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। खेल खुला तो अफसरों के हाथ पांव फूलने लगे। इस मामले में बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
मामला बिलासपुर के बिल्हा का है, जहां बिल्हा ब्लॉक के शासकीय मीडिल स्कूल मंगला पासीद में पदस्थ शिक्षक दीपक शर्मा की 5 महीने पहले मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के बाद महीनों तक नियमित रूप से शिक्षक का वेतन भुगतान होता रहा। घटना का खुलासा तब हुआ, जब परिजनों द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन दिया गया।
अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर विभाग ने हैरत जताई कि जीवित शिक्षक के लिए अनुकंपा नियुक्ति का आवदेन कैसे किया जा रहा है, क्योंकि बीईओ के दस्तावेज में शिक्षक दीपक नियमित स्कूल भी आते थे और उनका वेतन भी निर्गत होता था, जबकि सच्चाई ये थी कि दीपक शर्मा की मृत्यु महीनों पहले हो चुकी थी।
मामला उजागर हुआ इसके बाद विकासखण्ड शिक्षा कार्यालय में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में शिक्षकों के परिजनों को बुलाकर जारी वेतन की रिकवरी की गई।
ये कोई पहला मामला नहीं है जब बिल्हा विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय इस तरह की कारगुजारियों से बदनाम हुआ है, इससे पहले भी बिल्हा में महीनों गायब शिक्षाकर्मियों को नियमित रूप से वेतन जारी होने के कई मामले उजागर हो चुके है।
जानकारी के मुताबिक शिक्षक एलबी दीपक शर्मा का विगत सितम्बर माह में निधन हो गया, जिसके बाद प्रधान पाठक ने उसकी उपस्थिति भेेजना बंद कर दिया। लेकिन बीईओ आफिस के कुछ अधिकारी व कर्मचारी बिना उपस्थिति पंजी के ही वेतन जारी करते रहे।
इस बीच मृत शिक्षक के परिजनों ने अनुकम्पा नियुक्ति का आवेदन दिया। उसको दबाने के लिए शिक्षक के परिजनों को बुलाकर पांच माह तक जारी वेतन की रिकवरी करा ली गई।
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर ने जांच की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की जानकारी उन्हें नहीं थी, अब मामला सामने आया है, जिसके बाद अब जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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