कर्मपथ पर लोगों की सेवा करते हुए आखिरी सांस लेने वाले मनोहर पर्रिकर हमारे बीच नहीं रहे। लाइफ और पॉलिटिक्स में फाइटर रहे पर्रिकर को पूरा देश सैल्यूट कर रहा है। नवंबर 2014 से मार्च 2017 तक मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री रहे।
भारतीय फौज ने जब पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया, तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ही थे। यही नहीं म्यांमार में घुसकर जब आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक किया, तब भी रक्षा मंत्रालय का जिम्मा पर्रिकर के कंधों पर ही था।
सितंबर 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में इंडियन आर्मी के कैंप पर आतंकी हमले के बाद देश में जबर्दस्त गुस्सा था। चारो ओर से पाकिस्तान और आतंकियों को सबक सिखाने की मांग उठ रही थी। इसी दरम्यान तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अहम रोल अदा किया। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सहयोग में सेना ने पाक और आतंकियों को सबक सिखाने की रणनीति बनाई।
सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने 28-29 सितंबर की रात हुए सर्जिकल स्ट्राइक का ब्योरा आजतक के साथ साझा किया था। सेना ने बताया था कि कैसे इस स्ट्राइक की प्लानिंग बनी और कैसे इसे अंजाम दिया गया। इस पूरे ऑपरेशन में मनोहर पर्रिकर अहम कड़ी साबित हुए।
इस ऑपरेशन में सेना PoK में तीन किलोमीटर अंदर घुसी थी और आतंकियों का खात्मा किया था। पूरे ऑपरेशन के दौरान रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और पीएम मोदी जागते रहे और पल-पल का अपडेट लेते रहे।
पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने से पहले जून 2015 में भी मणिपुर के चंदेल में उग्रवादियों ने हमला कर सेना के 18 जवानों की जान ली थी। 18 जवानों की शहादत के बाद देश में भर में गुस्सा था। इस हमले के बाद बाद म्यांमार सीमा में घुसकर भारतीय फौज के पैराकमांडो ने उग्रवादियों के दो कैंप तबाह कर दिए। इस ऑपरेशन में करीब 100 उग्रवादी मारे गए।
सेना को आतंकियों और उग्रवादियों पर कार्रवाई की पूरी छूट मिली। जोश और जज्बे से भरपूर सेना ने बेहद प्रोफेशनल तरीके से अपने काम को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के कर्ता-धर्ता में से मनोहर पर्रिकर शामिल थे।
मनोहर पर्रिकर के असामयिक निधन से सेना ने अपने एक ऐसे नायक को खो दिया है जो हमेशा से उसकी जरूरतों और सलाहियत का ख्याल रखता था। जो आराम की घड़ी में उसका अभिभावक और मुश्किल वक्त में उसका मार्गदर्शन करने वाला लीडर था।
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