नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि अगर संभव हो सके तो मामले को मध्यस्थता से ही सुलझाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये सिर्फ जमीन का मसला नहीं है, बल्कि भावनाओं से जुड़ा हुआ मामला है। मस्जिद पक्ष मध्यस्थता की बात मानने के लिए तैयार है, हालांकि हिंदू महासभा ने इसका विरोध किया है।
हिंदू महासभा के वकील ने कहा कि ये जमीन भगवान राम की है, इसलिए यहां सिर्फ मंदिर ही बने। कोर्ट में निर्मोही अखाड़ा और मस्जिद पक्ष ने मध्यस्थता का मसला है। करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि वह जल्द ही इस पर अपना फैसला देंगे। फिलहाल उन्होंने सभी पक्षों से मध्यस्थता के लिए कुछ मध्यस्थों के लिए नाम मांगे हैं।
मंदिर पक्ष ने कहा- मस्जिद कहीं और बने
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या रामजन्मभूमि है, इसलिए ये राम जन्मस्थली को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। इसमें सिर्फ यही हो सकता है कि मस्जिद कहीं और बनें, हम इसके लिए क्राउडफंडिंग कर दें। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है।
कोर्ट तय करे कैसे हो मध्यस्थता
मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा है कि हम मध्यस्थता या किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी अपील की है कि कोर्ट ही तय करे कि मध्यस्थता किस तरह होगी।
मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि इस मसले में भावनाएं भी मिली हुई हैं, मध्यस्थता में इस बात का तय होना भी जरूरी है कि कहां पर क्या बनेगा। सुनवाई के दौरान कई मुस्लिम पक्षों ने मध्यस्थता के लिए हामी भरी है।
सिर्फ जमीन का नहीं है मामला
जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मध्यस्थता पर कुछ तय होता है तो मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये मामला किसी पार्टी का नहीं बल्कि दो समुदाय के बीच का विवाद का है, इसलिए मामले को सिर्फ जमीन से नहीं जोड़ा जा सकता है।
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