देशभर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल-मई में चुनाव हो जाएंगे। वैसे लोकसभा का ये 17वां चुनाव होगा। आज टीवी, रेडियो, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रचार काफी सरल हो गया है। मतदाताओं तक सीधे प्रसारण के जरिए भी पार्टी अपना प्रचार कर लेते हैं। वहीं चुनाव आयोग भी मीडिया के जरिए मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हैं।
इन सबके बीच क्या आप जानना चाहेंगे कि आजाद भारत में लोकसभा का पहला चुनाव कैसे हुआ था। कितनी पार्टियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी और कितने मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। तो चलिए हम आपको बताते हैं….
1950 में संविधान लागू होने के बाद 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ था। 25 अक्टूबर 1951 में चुनाव की शुरुआत हुआ और 21 फरवरी 1952 को खत्म हुए। पहला आम चुनाव 4 महीने तक चला था। पहले आम चुनाव में 14 राष्ट्रीय पार्टी, 39 राज्य स्थर की पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी। 489 लोकसभा सीट के लिए 17.3 करोड़ वोटर थे, लेकिन 44 प्रतिशत लोगों ने ही वोट दिया था। राष्ट्रीय पार्टी में मुख्य तौर पर कांग्रेस, सीपीआई, भारतीय जनसंघ जैसी पार्टियां थीं।
खास बात ये है कि उस समय वोट करने की उम्र 18 साल नहीं बल्कि 21 साल थी। पहले आम चुनाव में सुकुमार सेन देश के मुख्य चुनाव आयोग थे। उनको काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा था। उस समय सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को वोट देने के लिए जागरुक करना। उस समय ईवीएम नहीं था। उस समय ठप्पा लगाया जाता था। चुनाव आयोग ने उस समय ढाई लाख केंद्र बनवाए गए थे। वोट डालने के लिए गांव-गांव में नुक्कड़ नाटक हुआ करते थे।
लोकसभा की 489 सीटों में से 364 कांग्रेस के खाते में गई थीं। वो 45 प्रतिशत वोट हासिल करने में कामयाब रही थी। सीपीआई दूसरी सबसे बड़ी पार्टी उभरकर आई थी। उनको 16 सीटें मिली थी। वहीं एसपी को 12 और भारतीय जनसंघ ने 3 सीटें जीती थीं।
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