
रायपुर। गुरुवार की देर शाम हुई भूपेश कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले गए। भूपेश सरकार ने किसान और आदिवासियों से जुड़े अहम फैसले लिए। इसके तहत सार्वजनिक बैंकों से कृषि कार्य के लिए किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कर्ज को भी माफ कर दिया है। इसके तहत 30 नवंबर 2018 तक लिए गए लोन माफ किए जाएंगे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के किसानों पर 21 सार्वजनिक बैंकों से करीब 5000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसकी जानकारी देते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और नगरीय विकास मंत्री शिव डहरिया ने बताया कि ये कर्ज ठीक उसी तरह से माफ किया जाएगा जैसा कोआपरेटिव बैंकों के कर्ज माफ किए गए।
बता दें कि इससे पहले दिसंबर में जिला सहकारी और ग्रामीण बैंकों से लिए गए करीब 6100 करोड़ रुपए के कर्ज की माफी की घोषणा की थी। इससे प्रदेश के करीब 16 लाख किसानों को फायदा पहुंचा।विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था।
भूपेश कैबिनेट ने 400 यूनिट तक बिजली बिल हाफ करने की घोषणा पर भी मुहर लगा दी। इससे 12.56 लाख एकल बत्ती, 8.99 लाख फ्लैट रेट वाले उपभोक्ताओं के अतिरिक्त बाकी सभी उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा। भूपेश कैबिनेट से जुड़ी इस खबर को भी अखबारों ने प्रमुखता से लिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री चौबे ने बताया कि चौबे ने बताया कि अविभाज्य एमपी के दौरान राजीव आश्रय योजना के तहत शहरी गरीबों को दिए गए पट्टों के नवीनीकरण और नियमितीकरण को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इससे करीब 5 लाख लोगों को फायदा होगा।
कैबिनेट ने प्रदेश की सभी 1700 रेत खदानों का संचालन सीएमडीसी से कराने और प्राप्त रायल्टी का 25 फीसदी हिस्सा पंचायतों देने का भी फैसला किया गया। इसकी घोषणा एक दिन पहले मख्यमंत्री ने की थी। मंत्री चौबे ने आरोप लगाया कि कोरिया और अंबिकापुर में रेत की खदानों से पिछली सरकार के मंत्रियों के करीबी रिश्तेदारों और भाजपा के नेताओं ने तिजोरी भरने का काम किया है. अब ऐसा नहीं हो पाएगा। इस रॉयल्टी से पंचायतें मजबूत होंगी।
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