
छत्तीसगढ़ के बस्तर में बुधवार की शाम अचानक मौसम ने करवट बदली। तेज हवाओं के साथ कई जिलों में झमाझम बारिश हुई। संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में करीब 30 मिनट तक बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई। इधर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा जिले में पहले तेज आंधी चली, फिर करीब 15 से 20 मिनट तक बारिश हुई है। हालांकि दंतेवाड़ा में अब भी बूंदा-बांदी जारी है। बारिश होने से इन जिलों में मौसम सुहावना हो गया है। लोगों को उमस भरी गर्मी से निजाद मिली है।
मौसम वैज्ञानिक एपी चंद्रा ने कहा कि, प्रदेश के उत्तर में पूर्वी और दक्षिण में दक्षिणी हवा का संगम स्थल मध्य छत्तीसगढ़ बना हुआ है।इसके कारण दक्षिण छत्तीसगढ़ में एक-दो स्थानों पर वर्षा होने अथवा गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। लेकिन उत्तर छत्तीसगढ़ में अधिकतम तापमान में गिरावट होने की संभावना बनी हुई है। फिलहाल कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा।
किसानों के लिए जारी की गई एडवाइजरी
किसानों को सलाह दी गई है कि वे सूखे पत्तों को ना जलाएं, क्योंकि इससे तापमान में वृद्धि एवं वायु प्रदुषण होता है।
आगामी दिनों में शुष्क मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार सिंचाई गतिविधियों (मुख्य रूप से स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई) के साथ-साथ मिट्टी को ढकने के लिए मल्चिंग करें। आने वाले दिनों में परिपक्व चने की कटाई समाप्त कर लें।
फलदार वृक्ष लगाने हेतु अप्रैल एवं मई के महीने में गड्ढा खोदकर छोड़ देवें एवं बारीश होन के पश्चात रोपाई करें।
तापमान काफी बढ़ गया है, अतः अपने मवेशियों को 11 बजे के बाद एवं 3 बजे के पहले चरने न छोड़ें।
बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए फसल के महत्वपूर्ण विकास चरणों में सिंचाई की बारंबारता बढ़ाएं। मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए फसल अवशेष, पुआल, पॉलिथीन का उपयोग करें।
कोचई में 10 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहें। यदि फसल में 3 – 4 पत्तियां आ गई हों तो गुड़ाई करने के पश्चात जैविक खाद की बची हुई मात्रा डालकर मिट्टी चढ़ावें।