पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने जम्मू कश्मीर में हुर्रियत नेताओं को मिली सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके तहत उनसे सरकारी गाड़ियां भी वापस ली जाएंगी। साथ ही अलगाववादियों को अब कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी।
सरकार ने अपने आदेश में कहा है, किसी भी अलगाववादी नेता को सुरक्षाबल अब किसी सूरत में सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे। अगर उन्हें सरकार की तरफ से कोई अन्य सुविधा दी गई है, तो वह भी तत्काल प्रभाव से वापस ले ली जाएगी।
केंद्र के इस फैसले के बाद अब मीर वाइज उमर फारूख की सुरखा वापस ली जाएगी। साथ ही अब्दुल गनी बट और बिलाल लोन की सुरक्षा भी वापस होगी। इनके अलावा शब्बीर शाह और हाशिम कुरैशी से भी सुरक्षा हटा ली जाएगी।
क्या कहा था राजनाथ सिंह ने?
दअसल सरकार का ये फैसला केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर काम कर रहे लोगों की सुरक्षा पर पुनर्विचार करेगी। उनका इशारा अलगाववादी नेताओं की तरफ था।
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंह ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं समेत अलगाववादियों का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान और उसकी जासूसी एजेंसी ISI से पैसे पा रहे लोगों को दी गई सुरक्षा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा था, ‘ऐसे तत्व और ताकतें हैं जो पाकिस्तान और ISI से धन लेते हैं। मैंने संबंधित अधिकारियों से उनकी सुरक्षा पर पुनर्विचार करने को कहा है।’ गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कुछ तत्वों के तार ISI और आतंकवादी संगठन से जुड़े हैं, लेकिन सरकार उनकी सोच को परास्त करेगी।
उन्होंने कहा था, ‘ऐसे लोग जम्मू कश्मीर की जनता और राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खेल रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई निर्णायक दौर में है और मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम इसमें जीतेंगे।’
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