रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सूची आने के बाद कई सियासी मायने सामने आ रहे हैं। सूची को देखने से साफ पता चलता है कि भूपेश बघेल हाईकमान की पसंद बने हुए है और उनकी ही चल रही है। दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर आदिवासी और सतनामी समाज को साधने का प्रयास किया गया है। लिस्ट में सभी नेताओं को समाहित भी किया गया है, ताकि कोई विरोध न हो। प्रदेश अध्यक्ष के लिए लॉबिंग कर रहे कुछ नेताओं को अहम जिम्मेदारी देते हुए उन्हें संतुष्ट किया गया है। जिनमें चरणदास मंहत, रवीन्द्र चौबे आदि शामिल है। इस बार की सूची में मोतीलाल वोरा को शामिल नहीं किया गया है। ताम्रध्यज साहू भी मुख्य किरदार में नहीं है। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक उमेश पटेल भी गायब है। वहीं शैलेश नीतिन त्रिवेदी को फिर मीडिया का प्रभार देकर नए संकेत दिए गए है। सत्यनारयण शर्मा को चुनाव समिति में शामिल किया गया है, लेकिन उन्हें किसी भी विभाग का प्रमुख नहीं बनाया गया है, जबकि महंत और रवीन्द्र चौबे को चुनाव समिति के अलावा भी जबावदारी देते हुए चुनाव प्रचार समिति और योजना व रणनीति समिति का चेयरमेन बनाय गया है। टीएस सिंहदेव भी घोषण-पत्र समिति के चेयरमेन होंगे। मो. अकबर को हालांकि कई समितियों में जगह मिली है, लेकिन वे भी प्रमुख बनने से चूक गए है।
वोरा, छाया, ताम्रध्वज गायब
कांग्रेस इस बार राज्य में सरकार बनाने दम-खम लगा रही है। इसी को देखते हुए समय से पहले सूची जारी कर दी गई है। राज्य के दो सांसद और वरिष्ठ नेता का नाम किसी भी महत्वपूर्ण जगह नहीं है। जिनमें मोतीलाल वोरा सबसे पहले हैं। राज्यसभा सांसद छाया वर्मा भी केवल प्रचार समिति है उन्हें राज्य चुनाव समिति से दूर रखा गया है। ताम्रध्वज साहू भी योजना और रणनीति कमेटी में दिख रहे हैं, लेकिन चुनाव समिति से उनका भी नाम नदारद है।
अड़ने वाले सूची से बाहर
पीसीसी चीफ के साथ जिन दो लोगों को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है वे अध्यक्ष की बात को काट दे इस पर संशय रहेगा। रामदयाल उइके और शिव कुमार डाहरिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि चलेगी भूपेश बघेल की ही। सूची में किसी भी वरिष्ठ को जगह नहीं मिली है, जैसे चरणदास महंत, रवीन्द्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, मो. अकबर, धनेन्द्र साहू आदि, जबकि यह सब छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ कांग्रसियों की लिस्ट में शामिल है। आदिवासी और सतनामी समाज को साधने को लेकर बनाया गए कार्यकारी अध्यक्ष के बहाने सारे ऐेसे लोगों को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है, जो किसी फैसले को लेकर अड़ सकते थे।
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