पबजी यानि प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंड गेम और इसके जैसे कई ऑनलाइन गेम्स से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (डीसीपीसीआर) ने सभी स्कूलों को भेजे नोट भेज कर उन्हें आगाह किया कि पबजी, फोर्टनाइट, हिटमैन और पोकेमोन गो जैसे ऑनलाइन और वीडियो गेम बच्चों के लिए खतरनाक हैं।
ये बच्चों को मानिसक तौर पर प्रभावित करते हैं। बच्चों के माता-पिता को भेजे गए इस नोट में कहा गया है, “ये गेम्स महिला-विरोधी, नफरत, छल-कपट और बदला लेने की भावना से भरे हुए हैं। एक ऐसी उम्र जबकि बच्चे चीजें सीखते हैं, यह उनके जीवन और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
अभिभावकों को भेजे नोट में ग्रैंड थेफ्ट ऑटो, गॉड ऑफ वॉर जैसे गेम्स का भी जिक्र है। ये ऑनलाइन गेम्स स्मार्टफोन पर उपलब्ध हैं। हालांकि नोट में इन नकारात्मक खेलों के पैदा होने वाले लक्षण और बच्चों को इससे दूर रखने के उपाय भी बताए गए हैं।
एम्स में बढ़े बाल मरीज
इस ऑनलाइन गेम ने एम्स में बाल मरीजों की संख्या बढ़ा दी है। इनमें पबजी के ही हर सप्ताह चार से पांच नए मरीज पहुंच रहे हैं। गेम की लत में डूबे मरीजों की उम्र 8 से 22 साल तक के बीच है।
नौकरीपेशा युवा भी डॉक्टरों के पास काउंसलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। इन युवाओं को फोन पर पबजी खेलना इतना पसंद है कि ये ऑफिस का पूरा लंच टाइम इसी में खपा देते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ब्लू व्हेल के बाद पबजी दूसरा सबसे ज्यादा लत लगाने वाले गेम के रूप में सामने आया है। जबकि और भी गेम मनोरंजन की जगह अब तनाव का कारण बन रहे हैं।
हाल ही में गुजरात सरकार ने स्कूली छात्रों के लिए पबजी पर बैन लगा दिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में गेम्स के आदी बच्चे तीन गुना बढ़े हैं।
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