रायपुर। आज के दौर में अधिकांश युवा महात्मा गांधी के बारे में नहीं जानते। जो वास्तव में एक सोचनीय विषय हैं। आने वाली पीढ़ी तो इस नाम से ही कहीं दूर न हो जाए। इसलिए डॉ. जवाहर सुरिसे्ट्टी ने गांधी फॉर यूथ का आगाज किया है ताकि विश्व में युवा पीढ़ी में महात्मा गांधी की सार्थकता बढाई जाए।
गांधी दुनिया में भारत की पहचान हैं और पूरे विश्व में नेतृत्व शांतिपूर्ण तरीकों के लिए उनकी मिसाल ली जाती है । हर एक की दृष्टि में एक जन आंदोलन का नेतृत्व करने का सर्वोत्तम लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीका गांधीजी का है और इसी वजह से हम आजाद हैं।
लेकिन दुखद बात यह भी है कि गांधीजी को एक प्रतीक के रूप में सिर्फ कुछ ही दिनों के लिए सीमित कर दिया। वर्ष के इन विशेष दिनों में गांधी को याद करते हैं । आजादी के बाद जन्म लेने वाले माता-पिता से पैदा हुई युवा आबादी करोड़ों में है, जो स्वतंत्रता के संघर्ष को महसूस नहीं करते सिवाय इसके कि हम इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में इसे पढ़ते हैं।
पिछले दो पीढिय़ों के स्वतंत्रता संग्राम के सीधे संपर्क में नहीं रहने की वजह से और दूसरी ओर कुछ राजनीतिक गतिविधियों ने गांधी को युवाओं से दूर कर दिया है । युवाओं ने इस महान हस्ती का स्पर्श खो दिया है जो दुनिया भर में बहुत सम्मानित है।
यही कारण है कि गांधी के जन्म के 150 वर्ष बाद डॉ जवाहर सुरीसेट्टि ने गांधी फॉर यूथ कार्यक्रम के तहत 2019 में गांधी की पुण्यतिथि से लेकर उनकी जयंती तक की गतिविधियों की योजना बनायी है । युवाओं को पसंद और नापसंद के हिसाब से उन्होंने गांधी की पहचान युवाओं में वापस बनाने की योजना बना ली है।
एक अच्छा उदाहरण राजकुमार हिरानी की मुन्नाभाई है, जिसमें गाँधीगिरी द्वारा युवा को गांधी के आदर्शों को रोचक ढंग से वर्तमान परिदृश्य में पेश किया है । गांधी को आज जिस रूप में पेश कर रहे हैं, वह युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त रुचि पैदा नहीं कर रहा है।
हां, गांधी को युवा तरीके से पेश करने के लिए एक छवि बदलाव की आवश्यकता होगी जो मुश्किल नहीं है क्योंकि महात्मा गांधी अपने समय से बहुत आगे थे और आज भी प्रासंगिक हैं। जो लोग निहित स्वार्थों के लिए गांधी का इस्तेमाल करते हैं, वे हूटिंग करेंगे और रोएंगे क्योंकि वे पुरानी छवि को बनाए रखना चाहते हैं।
लेकिन एक संग्रहालय की छवि को बनाए रखने का क्या उपयोग है, जो आज के युवाओं में बापू को हमारे बीच जीवंत नहीं रख सकता है। क्या हम गांधी के छवि को धूमिल नहीं कर रहे हैं? महात्मा भारत के बापू हैं और जबकि पूरी दुनिया उन्हें मानती है और आज भी उनका अनुसरण करती है, अगर हम अपने युवाओं को इस सोच से अलग रखते हैं तो यह पिछली पीढिय़ों की विफलता है जो ऐसा करने में सक्षम नहीं है।
इसलिए डॉ जवाहर सुरिसेट्टी और रिलिजन ऑफ़ यूथ ने गांधी फॉर यूथ को रचा है जिसके पहले कड़ी में एक यूट्यूब वर्ल्ड प्रेमियर विडियो रिलिजन ऑफ यूथ चैनल पर लॉंच लिया जा रहा जिस गीत की रचना डॉक्टर जवाहर सुरिसेट्टी ने ख़ुद की है और दिल्ली की प्रॉमिसड़ रीनासिमेंटो बैंड इसका संगीत दिया है ।
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