मुकेश साहू, सारंगढ़। शिक्षा ही देश का भविष्य है और भारत का भविष्य आज के विद्यार्थी,लेकिन क्या कहा जाए उन विद्यार्थियों का जिनके सपने आज डर के साए में पनप रहें हैं। यह पूरा दृश्य कई वर्षों से ख्याति प्राप्त विद्यालय परसदा बड़े की है।
परसदा बड़े जो रायगढ़ जिले के अंतर्गत सारंगढ तहसील की बिलासपुर मार्ग में बसे गांव की है जहां की विद्यालय काफी वर्षों से विद्यार्थियों की सपने की उड़ान थी मगर आज की स्तिथि काफी दयनीय है। पूरा विद्यालय का फर्स टूटा-फूटा,उबड़-खाबड़ धूल धक्कड़ से भरा हुआ है।
जहां दीवाल की चारों तरफ फटी-फटी लकीरें। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मानों विद्यार्थीओं का ध्यान पढ़ाई में कम और आने वाली मुसीबत की ओर देख रहें हैं। नौबत यहां तक आ गयी है कि प्राथमिक एवं माद्यमिक स्कूल की एक-एक कक्ष पूर्ण रूप से कमरे में ताला बंद कर विद्यार्थियों को दो पाली में स्कूल लगा कर शिक्षक भी परेशान बने हुए हैं।
वर्तमान स्थिति विद्यालयीन शिक्षा पर सवालिया निशान दिख रहा है और यह दिखा रहा है कि विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षकों का दर्द की बार मांग पत्र,लोक सुराज, शिकायत पत्र करने पर पर शासन की उदासीनता नजर आ रही है आखिरकार शिक्षा की ऐसी ब्यवस्था पर जिम्मेदार कौन?
ब्लाक शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षा विभाग नुकीली सुई पर खड़ी प्रतीत हो रही है। आखिर क्या इसी दिनों के लिए शिक्षा के हित मे लड़ाई लडऩे वाले वीरों ने शिक्षित भारत का यही सपना देखा था? आखिर कितने दिनों तक विद्यार्थियों को डर के साये में जूझना पड़ेगा।
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