पांच जजों की बेंच इस कानून की वैधता पर पुनर्विचार
दिल्ली। शादी के बाहर संबंध बनाने यानी अवैध संबंध को लेकर कानून को चुनौती देने वाली याचिका संवैधानिक पीठ को स्थानांतरित कर दी गई है। पांच जजों की बेंच इस पर फैसला लेगी। मौजूदा कानून के अनुसार शादी के बाद किसी दूसरी शादीशुदा महिला से संबंध बनाने पर सिर्फ पुरुष के लिए ही सजा का प्रावधान है। भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जब आपराधिक कानून महिला-पुरुष के लिए समान है, तो फिर सेक्शन 497 में ऐसा क्यों नहीं होता? आईपीसी के सेक्शन 497 पर 1954 में चार जजों की बेंच असहमति जता चुकी है। ऐसे में अब पांच जजों की बेंच इस कानून की वैधता पर पुनर्विचार करेगी। सेक्शन 497 के मुताबिक, अभी अगर कोई शादीशुदा मर्द किसी शादीशुदा महिला से शारीरिक संबंध बनाता है, तो इसमें सिर्फ उस मर्द को ही सजा होगी। इस मामले में शादीशुदा महिला पर न तो व्याभिचार (एडल्टरी) करने और न ही बहकाने के आरोप लगेंगे। दोषी पाए जाने पर पुरुष को पांच साल तक की सजा हो सकती है।
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