रायपुर। राजधानी के रहने वाले हर्ष पटेल को भगवान ने मुंह तो दिया था। लेकिन कुछ खा पी नहीं सकता था, सुनने में भले अजीब लगे लेकिन हकीकत यही हैं। बच्चे के जन्म के बाद चिकित्सकों को मालूम पड़ा की हर्ष के शरीर में आहार नली ही नहीं बनी है और वो कुछ भी खा-पी नहीं पाएगा,
क्योंकि वह इसोफेजियल अट्रेसिया विथ ट्रेकियो इसोफेजियल फ्रिस्टूला नामक बीमारी से पीडि़त था। इस बीमारी में आहार नली का बड़ा हिस्सा नहीं बन पाता है और आहार नली आमाशय की बजाय सांस की नली से जुड़ जाती है। आहार नली के सांस की नली से जुड़े होने की वजह से बच्चा जो भी कुछ खा-पी रहा था वह छाती में जाने लगा था
इसी को देखते हुए हर्ष जब महज एक दिन का था तब उसकी छाती का ऑपरेशन किया गया, जिससे कि स्लाइवा उसकी छाती में ना जाकर बाहर निकल जाए। बच्चे की पहले सर्जरी की गई जिसमें आहार नली को सांस की नली से अलग किया गया और अमाशय में ट्यूब डालकर बच्चे को इंजेक्शन के द्वारा फीड कराया गया।
ऐसा बच्चे की मां ने अपने बच्चे के ठीक हो जाने की उम्मीद में पूरे दो साल तक किया। दो साल तक डॉक्टर्स ने दूसरी सर्जरी का इंतजार किया क्योंकि दूसरा ऑपरेशन बड़ा और जटिल था ऐसे में बच्चे का वजन अच्छा होना भी जरूरी था, हाल ही में डीकेएस में डॉ. जीवन पटेल ने बच्चे की दूसरी सर्जरी की जिसमें अमाशय को आहार नली में परिवर्तित करते हुए अविकसित आहार नली से जोड़ा गया।
इस तरह से बाल शल्य चिकित्सा विभाग में बच्चे की सफल सर्जरी की गई। डॉक्टर्सकी माने तो यह एक जटिल ऑपरेशन था जोकि 5 घंटे तक चला तथा बच्चे को सर्जरी के बाद 4 दिन तक वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। वहीं डॉ. जीवन पटेल का कहना है कि 3000 बच्चों में से किसी एक को इस तरह की बीमारी होती है।
सर्जरी के बाद अब अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और मुंह से खाना खाने में सक्षम है। इतना ही नहीं परिजनों ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए डिस्चार्ज होने से पहले डीकेएस में ही बच्चे का जन्मदिन केक काटकर मनाया.
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