मौदहापारा के स्क्रैप कारोबारी मोहम्मद सिराज के हत्या के आरोपी रजा बिहारी का नाम उसकी प|ी ने साेमवार की रात ही पुलिस को बता दिया था। सिराज अपनी प|ी से कहकर निकला था कि वह रजा बिहारी से मिलने जा रहा है। रात 9 बजे तक सिराज नहीं आया, तब परिजनों ने 9.30 बजे पुलिस में सूचना दे दी।
उसी समय बताया गया था कि वह रजा बिहारी से मिलने गया है। उसके बाद भी पुलिस के अफसरों ने उसी दिन रजा बिहारी को घेरने की कोशिश नहीं की। पुलिस के अफसर और जवान थाने में बैठकर आरोपी को मोबाइल लगाकर बुलाते रहे। वह उन्हें गुमराह करता रहा। उसके बाद भी पुलिस ने घेरा नहीं और सोमवार को आधी रात के बाद आरोपी अौर उसके साथी ने सिराज की हत्या कर दी।
संदिग्ध का नाम सामने आते ही घेरेबंदी करने से सिराज की जान बचायी जा सकती थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में ही खुलासा हो चुका है कि सिराज ने जब चोरी का ट्रक लेने से मना कर दिया, तब रजा और नीटू सरदार ने उसे बंधक बना लिया। आधी रात तक वे उसे बंधक बनाकर रखे रहे।
इस बीच रजा खान के मोबाइल पर पुलिस और सिराज के परिजनों ने कई फोन कर दिए। वह सभी को गुमराह करता रहा। पहले तो उसने साफ कह दिया कि सिराज उसके पास आया ही नहीं। उसके बाद ये कहकर टालने की कोशिश कि वह अपने ससुराल आया है। इतना ही नहीं उसने कुछ लोगों का नाम भी लिया कि सिराज उनसे मिलने गया है।
रजा बिहारी ने जो नाम लिया पुलिस ने उन लोगों से भी संपर्क किया। उन्होंने सिराज से मिलने की बात सिरे से नकार दी। उसके बाद भी पुलिस अफसर नहीं जागे और रजा को नहीं पकड़ा। पुलिस की पूछताछ से रजा को फंसने का अंदेशा हो गया और उसने सोमवार की रात सिराज की हत्या कर दी।
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
कारोबारी सिराज के परिजन मोहम्मद इरशाद और नईम समेत अन्य लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस की लापरवाही के कारण उनके भाई की मौत हुई है। पुलिस अगर तुरंत हरकत में आती तो सिराज जिंदा होता।
उन्होंने बताया कि साेमवार रात 9.30 बजे मौदहापारा थाने में रिपोर्ट लिखाई गई, लेकिन पुलिस ने तुरंत कार्रवाई नहीं की। थाने में पदस्थ हवलदार मंतू खान ने 4-5 बार रजा से बातचीत भी की। परिवार वालों ने रजा के घर जाकर बयान के लिए थाने बुलाने कहा, लेकिन वे सिर्फ फोन करते रहे। रजा के घर पर पुलिस ने छापा नहीं मारा। जबकि पूरी घटना में शुरू से ही उसी पर ही शक था।
अपहरण में जा चुका है जेल : रजा खान बिहार का रहने वाला है। वह कई सालों से हीरापुर में रह रहा है। वह स्क्रैप का कारोबार करता है। नीटू सरदार का हीरापुर के पास छोटा सा यार्ड है। वह पहले अपहरण के केस में जेल जा चुका है।
वह अपहरण और लूट के मामले में पहले भी जेल जा चुका है। वह चोरी के स्क्रैप की खरीदी-बिक्री करता था। नीटू ने रजा के माध्यम से सिराज से कारोबार की प्लानिंग की थी।
सिराज ने कह दिया था वह पुलिस को बता देगा कि वो चोरी का ट्रक बेचते हैं
आरोपियों के पुलिस के फंदे में फंसने के बाद प्रारंभिक पूछताछ में ये संकेत मिले हैं कि सिराज जिस ट्रक को खरीदने गया था, उसके कागज उसने रजा और नीटू से मांगे। उन्होंने आनाकानी की। सिराज ने कहा कि वह बिना दस्तावेज ट्रक नहीं लेगा, तब उन्होंने उसे सच्चाई बताकर कहा कि ट्रक काटकर बेच देने पर किसी को पता नहीं चलेगा कि ये चोरी का है।
सिराज ये बात सुनकर नाराज हो गया। उसने कहा कि वह चोरी का ट्रक नहीं खरीदेगा और पुलिस को बताएगा कि दोनों ट्रक चुराते हैं। चर्चा है कि इसी बात पर उनमें जमकर विवाद। उसके बाद आरोपियों ने उसे बंधक बना लिया। पैसे देखकर उनकी नीयत खराब हो चुकी थी। वे किसी कीमत पर पैसा नहीं छोड़ना चाह रहे थे। इसलिए उन्होंने सिराज की हत्या कर दी।
स्टेशन में मिला फुटेज, तब टीम की रवाना
पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर रात में कौसर और गाजी खान को हिरासत में लिया। कॉल डिटेल में रजा और नीटू का भी लोकेशन सिराज के पास ही मिला था। इससे साफ हो गया था कि हत्या में इनका ही हाथ है। उसके बाद पुलिस ने रेलवे स्टेशन की जांच की। रिर्जवेशन की सूची में दोनों का नाम था। सीट नंबर निकालकर ग्वालियर पुलिस को सूचना दी गई। उसके बाद आरोपियों को पकड़ लिया गया।
जांच के दौरान दोपहर में रजा और नीटू का रेलवे स्टेशन में फुटेज मिला। उसके बाद पुलिस ने ट्रेन रूट के सभी जिलों की पुलिस से संपर्क किया और आरोपियों की तस्वीर भेजी। ट्रेन में उनकी मौजूदगी का पता चला और उन्हें गाड़ी में ही पकड़ लिया गया।
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