नई दिल्ली। इस बार सरकार मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दे सकती है। मीडियम क्लास को राहत देने के उद्देश्य से वित्त मंत्री अरुण जेटली आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये कर सकते हैं, जबकि मेडिकल खर्चो और परिवहन भत्ते को भी फिर से बहाल कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा फायदा करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को मिलेगा।
अंतरिम बजट में हालांकि बहुत अधिक मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन भाजपा सरकार चुनावों को देखते हुए मध्य वर्ग को खुश करने की कोशिश करेगी। सूत्रों की मानें तो करों के स्लैब को सिस्टेमेटिक करने की योजना बनाई गई है,
जो किसी भी स्थिति में आगामी प्रत्यक्ष कर संहिता के अनुरूप होंगे। इसमें यह समस्या आ सकती है कि प्रत्यक्ष कर संहिता रिपोर्ट के आने से पहले आम बजट 28 फरवरी को आ जाएगा, जिससे रिपोर्ट जारी होने से पहले दरों से छेड़छाड़ इसे विवादास्पद बना देगा।
नए प्रत्यक्ष कर संहिता के दायरे में ज्यादा से ज्यादा कर निर्धारती (एसेसी) को कर के दायरे में लाने की कोशिश की जाएगी, ताकि अलग-अलग वर्गो के करदाताओं के लिए अधिक न्यायसंगत प्रणाली बनाई जाए, कॉर्पोरेट कर में कमी किया जाए और व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाई जाए।
फिलहाल 2.5 लाख रुपये की आय को निजी आयकर से छूट प्राप्त है, जबकि 2.5-5 लाख रुपये के बीच की सालाना आय पर 5 फीसदी कर लगता है। 5-10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी कर लगता है।
वहीं 80 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों को 5 लाख रुपये सालाना की आय पर कर छूट प्राप्त है। इसके अलावा पिछले साल 5 लाख रुपये की आय वालों के लिए सालाना 15 रुपये तक के मेडिकल खर्चों और 19 हजार 2 सौ रुपये तक के परिवहन भत्तों को हटाकर उसकी जगह 20 हजार रुपये की मानक कटौती लाया था। इसे भी वापस बहाल किया जा सकता है. हालांकि इससे बहुत अधिक फायदा तो नहीं होगा, लेकिन मध्य वर्ग का उत्साह बढ़ेगा।
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