नई दिल्ली। आए दिन हम दुष्कर्म की बहुत सी खबरें पढ़ते हैं। एक समय ऐसा था जब ऐसी घटनाओं के बारे में सुनकर हर कोई स्तबध रह जाता था। खबर पर से लोगों की नजरें नहीं हटती थीं। वहीं आज एक समय आ गया है जब दुष्कर्म जैसी घटनाएं लोगों के लिए आम हो गई हैं। खबर पढऩे वाले जब अखबार खोलते हैं तो ऐसी ही अनेकों घटनाएं उसपर छपी होती हैं। समाज और यहां के लोगों के लिए ये घटनाएं बेशक दो सेकंड के मौन जैसी हों लेकिन जिन लड़कियों और महिलाओं के साथ ये होता है, उनके लिए जीवनभर के मौन के समान होती हैं।
वह अगर दोबारा खड़े होकर जीवन में आगे बढऩे का सोचें भी तो भी आगे नहीं बढ़ पातीं। तो ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि जो समाज महिलाओं की सुरक्षा की वकालत करता है, वहीं समाज उसे सुरक्षा क्यों नहीं दे पाता? क्यों ये कोशिश करता है कि जिस महिला के साथ दुष्कर्म हुआ है, वह इस घटना को कभी भूले ही न?
लड़की को छेडऩे वाले उन गुंडों को पता था कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। वह लड़की को जानते हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि लड़की अपने साथ हुई घटना को भूले, 15 साल की वो लड़की दोबारा दोस्तों के साथ घूमे और खुश रहे।
उन गुंडों ने उस लड़की का पीछा करना शुरू कर दिया, वह गाजियाबाद के कोचिंग सेंटर से अपने घर की ओर जा रही थी, ज्यादा रात भी नहीं हुई, महज शाम के 5.30 बजे थे। आसपास बहुत से लोग खड़े थे लेकिन जब लड़की के साथ छेडख़ानी शुरू हुई तो सब धीरे-धीरे वहां से चले गए।
गुंडे लड़की का नाम पुकार रहे थे, उसका स्कूटर रोककर चाभी निकाल ली। उसे गलत तरीके से छूने लगे, कुछ लोगों को ये तमाशा अच्छा लग रहा था तो वो वहां खड़े होकर चुपचाप नजारा देखते रहे। गुंडों से पीछा छुड़ा जब लड़की घर की ओर भागी तब भी गुंडों द्वारा उसका पीछा करना जारी रहा। सभी गुंडे जोर-जोर से लड़की को बोल रहे थे, अरे तुम तो वही हो न बुलंदशहर घटना वाली, क्या नहीं हो?
लड़की कुछ नहीं बोल पाई, वो डरी हुई थी, सहमी हुई थी। घटना जुलाई 2016 की थी। लड़की के परिवार के 6 सदस्य नोएडा से यूपी के शहाजहांपुर जा रहे थे। तभी उनकी गाड़ी रोक ली गई। बदमाशों ने परिवार के पुरुषों को रस्सी से बांध दिया। लड़की और उसकी मां के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। लड़की की उम्र उस वक्त 13 साल थी। इस खबर ने पूरे देश को हिला दिया था। घर के पुरुषों और पूरे परिवार के साथ होते हुए भी इनके साथ ये घटना हुई।
ये लड़की अकेली ऐसी नहीं है जो खुद के साथ हुई घटना को भूली नहीं है। दुष्कर्म पीडि़ताओं को कहा जाता है कि जो भी उनके साथ हुआ वह भूल जाएं। किसी लड़की को बयान बदलने को कहा जाता है, तो किसी से ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जो नहीं पूछे जाने चाहिए। पहले मीडिया भी उनके लिए एक तरह का खतरा ही था, जो उनकी पहचान, उनके नाम और परिवार के लोगों का प्रसारण करता था।
शुक्र है कड़े कानूनों का कि अब वो ऐसा नहीं कर सकते। अब पीडि़ताओं की पहचान छुपाई जाती है। लेकिन बावजूद कानून के उन्हें एक नहीं बल्कि कई बार शर्म का सामना करना पड़ता है।
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