नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण का ऐलान बड़ा दांव चल दिया है। साल 2019 की पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए मोदी सरकार पिछड़े सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने जा रही है। इसके लिए संविधान में संशोधन की तैयारी कर ली गई है।
सूत्रों के मुताबिक पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार ने कुछ पैमाने बनाए हैं। आरक्षण सिर्फ उन्हीं सवर्णों को मिलेगा जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होगी। इसके अलावा आरक्षण के हकदार वे ही रहेंगे जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन होगी। सूत्रों के मुताबिक ईडब्ल्यूएस कैटेगरी भी स्पष्ट कर दी गई है। यानी आरक्षण का फायदा किसे मिलेगा, इसका भी निर्धारण कर दिया गया है।
संविधान में संशोधन करना होगा
मोदी सरकार सवर्ण आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है, जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है, इसलिए सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा।
दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने सरकार के इस फैसले को आम जनता के साथ मजाक बताया है। उन्होंने कहा कि ये फैसला सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए है। उन्होंने सवाल किया कि जब साधारण बिल पास नहीं होता तो ये कैसे पास हो सकेगा।
ये सवर्ण आएंगे दायरे में
- आठ लाख से कम आमदनी हो
- कृषि भूमि 5 हेक्टेयर से कम हो
- घर है तो 1000 स्क्वायर फीट से कम हो
- निगम में आवासीय प्लॉट है तो 109 यार्ड से कम जमीन हो
- निगम से बाहर प्लॉट है तो 209 यार्ड से कम जमीन हो.
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