रायपुर। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति पर्व को लेकर श्रध्दालुओं ने जोरशोर से तैयारियां शुरू कर दी है। मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व है। मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन की शुरुआत होती है।
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही जहां धूप कड़ी होती है वहीं शने-शने ठंड में कमी आती है और गर्मी का अहसास होते ही दिन बड़े और रात छोटी होना शुरु होती है। इलाहाबाद संगम सहित मकर संक्रांति के दिन देश के लाखों करोड़ों श्रध्दालु नदी में स्नान कर विधिवत मंदिरों में पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं।
मकर संक्रांति के दिन छतों एवं मैदानों में पतंग उड़ानें का रिवाज भी है। मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी अत्यंत शुभ मानी जाती है। सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को हल्दी-कुमकुम का टीका लगाकर तिल के बने लड्डू, तिलपट्टी एवं सुहाग की वस्तु सप्रेम भेंटकर एक दूसरे के परिवारों के लिए साल अच्छा बीतने की शुभकामनाएं देती है।
संक्रांति के दिन तिल के लड्डू के साथ ही खिचड़ी, पापड़, अचार, घी एवं लाई बिजोरी, सेमी चौसेला आदि का दान किया जाता है। साथ ही जातक इसे अत्यंत चाव के साथ ग्रहण करते हैं।
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