नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हुए आम चुनाव में एक बार फिर शेख हसीना ने बड़ी जीत हासिल की है। 30 दिसंबर को बांग्लादेश में हुए आम चुनाव की मतगणना सोमवार रात तक चलेगी। लेकिन बांग्लादेशी मीडिया का दावा है कि यहां 300 सीटों में से लगभग 266 सीटों पर सत्तारुढ़ी अवामी लीग और उसकी सहयोगियों को जीत मिल रही है।
जबकि विपक्ष की पार्टियां 20-21 पर ही रुकती नजर आ रही है। नतीजे ऐसे ही रहते हैं तो शेख हसीना चौथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेख हसीना को फोन कर जीत की बधाई भी दी।
गौरतलब है कि चुनाव से जुड़ी हिंसा में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई जबकि विपक्ष ने धांधली के आरोप लगाते हुए फिर से चुनाव कराने की मांग की है। निजी डीबीसी टीवी ने 300 में से 299 सीटों के नतीजे दिखाए।
सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 266 सीटें जीतीं जबकि उसकी सहयोगी जातीय पार्टी ने 21 सीटें हासिल कीं. विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (यूएनएफ) को सिर्फ सात सीटों पर जीत मिली। यूएनएफ में बीएनपी मुख्य घटक थी।
गोपालगंज से जीतीं शेख हसीना
चुनाव आयोग ने अभी तक केवल एक सीट गोपालगंज के परिणाम की पुष्टि की है जहां से शेख हसीना को 2,29,539 वोट मिले हैं जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी के उम्मीदवार को महज 123 वोट मिले। हार को देखते हुए बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी एनयूएफ गठबंधन ने आम चुनावों के परिणाम को खारिज कर दिया है और निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार के अधीन फिर से चुनाव कराने की मांग की है। एनयूएफ में मुख्य दल बीएनपी है।
299 सीटों पर ही हुआ चुनाव
बांग्लादेशी चुनाव आयोग के मुताबिक 300 संसदीय सीटों में से 299 सीटों पर चुनाव हुआ है। इसके लिए 1,848 उम्मीदवार मैदान में हैं, चुनाव के लिए 40,183 मतदान केन्द्र बनाए गए। एक उम्मीदवार के निधन के कारण एक सीट पर चुनाव नहीं हुआ।
हसीना चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ रही हैं जबकि ढाका जेल में बंद उनकी चिर प्रतिद्वंद्वी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया का भविष्य अधर में लटका नजर आता है। सूचनाओं के मुताबिक, जिया आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हैं।
आपको बता दें कि बांग्लादेश में हो रहा ये 11वां आम चुनाव था, देश में करीब 10.41 करोड़ आधिकारिक मतदाता हैं। गौरतलब है कि शेख हसीना की पार्टी को भारत के प्रति झुकाव के तौर पर देखा जाता है, जबकि विरोधी खालिदा जिया को पार्टी को भारत विरोधियों में से एक गिना जाता है।
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