कोंडागांव। बस्तर के लोक शिल्प कारों की मूलभूत समस्याओं के निराकरण के लिए उनकी कलाकृतियों को उचित मूल्य दिलाने के लिए ग्राम किड़ई छेपड़ा में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति स्व सहायता समूह और संपदा समाज सेवी संस्थान की संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. राजाराम त्रिपाठी और अध्यक्षता बृजेश तिवारी ने किया। शिप्रा त्रिपाठी व मधु तिवारी विशिष्ट आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपस्थित शिल्पकारो ने अपनी व्यथा का विस्तार से बयान करते हुए बताया कि उनकी कला यूरोपियन अमेरिका में महंगे दामों पर बिक रही है। लेकिन दिन रात पसीना बहाने के बावजूद उन्हें 2 वक्त की रोटी भी भलीभांति नसीब नहीं हो पाती है।
कार्यक्रम में संस्कृति स्व सहायता समूह के प्रमुख कलाकार और राष्ट्रपति पदक प्राप्त प्रख्यात लोह शिल्पी तीजू राम बघेल ने बताया, कच्चा माल दिनोंदिन महंगा होते जा रहा है लागत दिनों दिन बढ़ती जा रही है लेकिन इस कला को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रहे कलाकारों का कहना है कि हमारी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा इस धंधे में सक्रिय बिचौलिए तथा दलाल हड़प जाते हैं।
संपदा समाज सेवी संस्थान की शिप्रा त्रिपाठी ने कहा कि संपदा एक पूर्णत: अव्यवसायिक समाजसेवी संस्थान है, जो की मुख्यतरू बस्तर की आदिवासी महिलाओं के द्वारा संचालित है। डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि बस्तर की लौह कला सहित बस्तर की सभी लोग कलाओं, परंपराओं बोली भाषा व संस्कृति को हर कीमत पर बचाया जाना बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण है।
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