रायपुर, नई दिल्ली। विधानसभा चुनावों में बीजेपी को तीन हिंदी भाषी राज्यों में मिली करारी हार के बाद आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व सरकार किसानों को उनकी समस्याओं के मद्देनजर बड़ी राहत देने के मूड में नजर आ रही है। इसके तहत तेलंगाना के केसीआर सरकार के मॉडल के मुताबिक केंद्र किसानों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के बारे में विचार कर रही है। इसे लेकर सरकार में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। छोटे और सीमांत किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी जैसे खर्चों के लिए एक सीमित रकम सीधे उनके खाते में डालने पर विचार कर रही है
सूत्रों का कहना है कि इस तरह की स्कीम में करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें साझे तौर पर उठा सकती हैं। इन वार्ताओं में शामिल रहे कुछ लोगों का मानना है कि 70 के रेशियो में केंद्र और राज्य इस खर्चे का बंटवारा कर सकते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि यह एक राजनीतिक फैसला होगा।
उनके मुताबिक इसके खर्च और तय समय में इसे लागू करना एक चुनौती हो सकती है लेकिन कई राज्यों में बीजेपी की सरकार होने से मोदी सरकार को मिल सकती है। नीति आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक हर किसान को अपने निकटम एपीएमसी मंडी में बुआई और फसल के रकबे को रजिस्टर कराना होगा। अगर फसल का बाजार भाव गिरता है तो किसानों एमएसपी और बाजार भाव के बीच के अंतर का अधिकतम 10 फीसदी तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की मदद से अपने आधार लिंक बैंक अकाउंट में पाने का अधिकारी होगा।
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