नई दिल्ली। मोदी सरकार देश में विकास की नई-नई योजनाएं बना रहे हैं लेकिन उसके सांसद ही इसमें पीछे हैं। 543 सांसदों में केवल 35 सांसद ही विकास निधि का पूरा इस्तेमाल किया है। बांकी रुपये खर्च भी नहीं कर पाए हैं। ऐसे में विकास की कल्पना कैसे कर सकते हैं।
केंद्र की मोदी सरकार विकास कार्यों में हो रही देरी को देखते हुए साल में दो किस्तों में जारी होने वाली सांसद निधि के आवंटन में बदलाव करने पर विचार कर रही है। भारतीय सांख्यिकी और कार्यान्वन मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो 2014 में 16वीं लोकसभा के गठन के बाद 543 निर्वाचन क्षेत्रों में से केवल 35 ऐसे क्षेत्र है जिनमें 25 करोड़ के विकास निधि का पूरा इस्तेमाल हुआ है।
एक किस्त में जारी हो सकते हैं पूरे पांच करोड़
दक्षिणी राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र में इस विकास निधि का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा वो राज्य है जहां कम से कम एक निर्वाचन क्षेत्र में आवंटित विकास निधि का पूरा इस्तेमाल हुआ है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 10 सांसदों ने अपनी विकास निधि का पूरा इस्तेमाल किया है।
सांख्यिकी और कार्यान्वन मंत्री सदानंद गौड़ा ने 19 दिसंबर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि अलग-अलग कारणों से जिला प्राधिकरण कार्य समाप्ति का प्रमाण पत्र समय जमा नहीं कर पाते। सांसद निधि से जुड़ी बैठकों में इस बात पर चर्चा भी हुई है और सांसद निधि के पांच करोड़ रुपये को एक ही किस्त में देने पर विचार किया जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय वित्त मंत्री की रजामंदी के बाद लिया जाएगा।
विपक्ष के मुताबिक चुनावी फायदा लेने की कोशिश
तमिलनाडु से पाट्टाली मक्कल कट्चि (पीएमके) के सांसद अंबुमणि रामदास के मुताबिक एक साल के अंदर काम को पूरा करके समाप्ति और पैसे के इस्तेमाल का सर्टिफिकेट जमा करना संभव नहीं लगता। पिछले चार साल में मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में कलेक्टर के रवैये के कारण मैं किसी भी योजना को ठीक से लागू नहीं कर पाया।
कई बार मुझे खुद जाकर कार्य योजना के लिए एनओसी लेना पड़ा है।
विपक्ष के एक नेता ने कहा कि एक किस्त या दो किस्त में पैसे जारी होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। चुनावी साल होने की वजह से 2019 का पूरा पैसा सरकार एक ही किस्त में जारी करना चाहती है ताकि उसे लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक फायदा मिल सके।
शहरी इलाकों में भूमि अधिग्रहण विकास कार्यों के अटके रहने की बड़ी वजह है, इस कारण पैसे भी जारी नहीं हो पाते। सांसद निधि से जुड़ी आधिकारिक वेबसाइट पर एक नजर डाले तो पता चलता है कि ज्यादातर सांसद रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए फंड जारी करना पसंद करते हैं।
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