रायपुर। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही सप्ताह भर के भीतर विभिन्न निगमों, मंडलों व आयोगों में पदस्थ अध्यक्षों एवं सदस्यों को जो कि संवैधानिक पदों पर नहीं है, नियुक्तियां रद्द करने का आदेश जारी हो चुका है। इधर मंत्री और संसदीय सचिव बनने से वंचित रहने वाले विधायकों को इन मंडलों, निगमों में बिठाकर संतुष्ट करने का प्रयास होगा।
जानकार सूत्रों की माने तो विभिन्न निगमों, मंडलों व आयोगों में संवैधानिक पदों को छोडक़र शेष पदों पर मनोनयन के आधार पर नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी हो चुका है। इसके पीछे मुख्य वजह यह मानी जा रही है कि इस बार कांग्रेस के 68 विधायक जीतकर आए हैं। मंत्रिमंडल में कुल 13 लोगों की जगह है, जिसमें से मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल और मंत्री के रूप में टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू शपथ ले चुके हैं।
मंत्रिमंडल के शेष 10 सदस्य कौन होंगे, इसे लेकर मंथन चल रहा है और मंत्री पद के दावेदार दिल्ली तक दौड़ लगा चुके हैं। ऐसे में यह तय है कि नए-नए निर्वाचित होकर आए विधायकों को सत्ता में कोई स्थान फिलहाल नहीं मिलेगा। मंत्री पद की दौड़ में वरिष्ठ विधायक हैं, ऐसे में नए-नवेले विधायकों को संतुष्ट करने के लिए विभिन्न निगमों, मंडलों व आयोगों में फिट किया जाएगा।
इसके अलावा दो से तीन बार विधायक रह चुके वरिष्ठ विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर संतुष्ट किया जाएगा। बहरहाल सभी को मंत्रिमंडल के गठन का बेसब्री से इंतजार है, मंत्रिमंडल के गठन के तत्काल बाद निगमों व मंडलों में भी नियुक्तियां की जाएगी।
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