रायपुर। छत्तीसगढ़ी गीतों गुल-गुल भजिया खाले…, मन के मन मोहिनी …,चने के दार राजा…, चक्कर के घोड़ा जैसे गीतों के मशहूर रचयिता संत मसीह दास अब नहीं रहे। उनका बुधवार को निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। वे काफी दिनों से मुफलिसी में थे। बरसों से उनकी सेहत खराब चल रही थी। पिछले तीन दिनों से वे निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। वे तेलीबांधा में रहते थे।
दास लोकगायकी और ददरिया के भी जानकार थे। 1964-65 में रायपुर डीजल्स में काम करने के दौरान उनकी मदन चौहान और शेख हुसैन की जोड़ी बन गई थी। तीनों का संगम ऐसा था कि दास गीत लिखते, चौहान संगीत से सजाते और हुसैन उसे अपना सूर देते थे।
यह त्रिमूर्ति जोड़ी बरसों तक छत्तीसगढ़ी संगीत व कला को जीवित रखने में सफल रही। उनके गीत जब रेडियो और छत्तीसगढ़ी कार्यक्रमों में मंचों पर प्रस्तुत होते लोग झूमने लगते थे।
छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता मनोज वर्मा दास की हिट रचनाओं को कालजयी कहते हैं। उन्होंने कहा कि अब ऐसे गीत लिखने की कल्पना करना मुश्किल है। चौहान बताते हैं कि साहित्यकार व छत्तीसगढ़ी लेखक हरि ठाकुर, बद्री विशाल जैसे लोग भी दास के लेखन के कायल थे।
राजिम मेले पर उनका गीत सुन नयना कजरारी…बड़ा फेमस हुआ था। दास मूलत:विश्रामपुर के रहने वाले थे, लेकिन बचपन में ही वे अपने परिजनों के साथ रायपुर में बस गए थे। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ी कलाकारों व मसीही समाज ने भी दास का सम्मान किया था। सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
कुछ बरसों पहले उन्हें ब्रेन हेमरेज भी हो गया था। उनके परिवार में पत्नी सूर्यकांता मसीह, बेटी सुभाषिनी, सुषमा, मंजू, झरना व निशा तथा बेटे क्रिस्टोफर व सुभाष हैं। दास का अंतिम संस्कार शाम चार बजे सेंट पॉल्स कैथड्रल प्रभु वाटिका में किया गया।
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