जम्मू। दोस्त की जान बचाने के लिए जम्मू की युवती अपने ही पिता के विरोध में खड़ी हो गई है। पिता के बार-बार मना करने के बाद भी वह अपने फैसले पर अड़ हुई हंै। वह किसी भी कीमत पर अपने मुस्लिम सहेली की जान बचाना चाहती है। पिता के फैसले को ठुकराते हुए उन्होंने कहा है कि वह अब कभी पिता को अपनी शक्ल नहीं दिखाएगी।
पिता की अपील पर दोस्ती का फर्ज भारी पड़ता दिख रहा है। सहेली समरीन अख्तर को किडनी दान करने पर अड़ी मंजोत ने पिता के पुनर्विचार के फैसले को ठुकराते हुए कहा है कि वह अब कभी पिता को अपनी शक्ल नहीं दिखाएगी।
इसके बाद मंजोत के पिता गुरदीप सिंह ने अब राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि वह आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं हैं कि कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर बेटी को रोक सकें। बोले- बेटी को अब भी सही राह पर लाने का प्रयास कर रहा हूं।
नौकरी के सिलसिले में बेटा घर से बाहर है। पत्नी की मृत्यु हो चुकी है और वह घर पर अकेले रहते हैं। भाग दौड़ में भी असमर्थ हैं। इसलिए चाहते हैं कि बेटी किडनी दान करने के निर्णय को बदल दे और घर लौट आए। राज्यपाल से भी अपील कर रहे हैं कि वह मामले में हस्तक्षेप कर बेटी को किडनी दान करने से रोकें।
गुरदीप सिंह ने कहा कि रविवार देर रात को बेटी ने एसएमएस संदेश भेजा है, जिसमें लिखा है कि मुबारक हो पापा जो चाहते थे वह हो गया है। जिंदगी में कभी शक्ल नहीं दिखाऊंगी। मंजोत सिंह ने कहा है कि वह आज भी अपने निर्णय पर कायम है। वह इंसानियत के नाते अपनी सहेली की जान बचाने का प्रयास कर रही है।
रिश्तों को बाद में भी बचाया जा सकता है, लेकिन सहेली की जिंदगी बचाने का मौका दोबारा नहीं मिलेगा। मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (स्किम्स) को बैठक कर इस पर निर्णय लेना है। उम्मीद है कि किडनी दान करने की अनुमति मिल जाएगी।
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