नहीं कम हो रहा हाथियों का आतंक…सिरपुर इलाके में 17 हाथियों के दल ने मचाया उत्पात… खड़ी फसल को रौदा…

महासमुंद। हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। सिरपुर इलाके में 17 सदस्यीय हाथियों के दल ने बीती रात खेतों में पहुंचकर खड़ी फसलों को फिर नुकसान पहुंचाया है।
सिरपुर क्षेत्र के हाथी प्रभावित गांव कुकराडीह, लहंगर और परसाडीह के खेतों में 26-27 नवंबर की दरम्यानी रात हाथियों के 17 सदस्यी दल ने जमकर उत्पात मचाया। तीनों गांव के आधा दर्जन से अधिक किसानों के खेतों में धान फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
बीते कुछ दिनों से लहंगर-पीढ़ी के जंगल में हाथियों का दल डेरा जमाए हुए हैं। 27 नवंबर मंगलवार को भी शाम सात बजे तक हाथियों को लहंगर के बघर्रा नाला के पास देखा गया है।
किसानों का कहना है कि अपने बच्चे को ढूंढते हुए हाथियों का यह दल इस क्षेत्र में लंबे समय तक डेरा डालकर उनकी फसल को चौपट करते रहेगा, इसे लेकर किसान बहुत परेशान हैं।
हाथी भगाओ, फसल बचाओ समिति के संयोजक राधेलाल सिन्हा ने बताया कि हाथियों के दल ने कुकराडीह, परसाडीह के खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाया। गश्ती दल ने हाथियों को मशाल व टार्च जलाकर खेतों से खदेडा।
उसके बाद हाथियों ने लहंगर के बनीला खार पहुंचकर नेपाल सिंह धु्रव, गजेंद्र सिंह, परसराम धु्रव आदि किसानों की फसलों को रौंद दिया। श्री सिन्हा ने कहा कि वन विभाग का कोई सुरक्षा गश्ती दल नहीं है। किसान अपनी फसलों की सुरक्षा खुद कर रहे हैं। लहंगर में 40 प्रतिशत कटाई बाकी है जिससे किसान चिंतित हैं।
जान जोखिम में डालकर कर रहे पहरेदारी
हाथियों के दल के लहंगर में होने की खबर मिलने के बाद ग्राम लहंगर के 40 व्यक्ति खेत-खार की ओर जाने वाले रास्ते पर रातभर पहरेदारी कर रहे हैं। जान जोखिम में डाल रतजगा कर किसान अपनी फसल को बचाने में लगे हैं। किसान मिट्टी तेल, जले आइल और टॉर्च लेकर रखवाली कर रहे हैं। रखवाली करने वालों के लिए गांव में आपस में चंदा करके राशि एकत्र की गई है। सामुदायिक सहभागिता से फसल बचाने किसान जूझ रहे हैं।
घायल हाथी के बच्चे की मौत
महासमुंद जिले के पासिद (सिरपुर) गांव के कैंप में रखे गए गंभीर रूप से घायल बच्चा हाथी की मंगलवार को उपचार के दौरान मौत हो गई। उपचार कर रहे डॉ. योगेश्वर पटेल (वीएएस) का कहना है कि करीब 24 दिन उम्र के इस बच्चा हाथी के सिर में अंदरूनी चोटें थी।
सिर का हड्डी टूटा हुआ था। यही मौत का कारण बना। डॉक्टरों की तीन सदस्यी टीम ने पोस्टमार्टम किया, जिसमें बच्चा हाथी के बुरी तरह से जख्मी होने का खुलासा हुआ। बच्चा हाथी को पासिद के जंगल में दफनाया गया।
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