नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले पर देश में लगातार चर्चा होती रही है। विपक्ष इस फैसले के बाद से ही सरकार पर अंगुली उठाता रहा है। अब केंद्र सरकार के ही अधीन आने वाले कृषि मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि किसानों पर नोटबंदी के फैसले का काफी बुरा असर पड़ा था।
वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में कृषि मंत्रालय ने माना है कि नगदी की कमी के चलते किसान, रबी सीजन में बुआई के लिए बीज-खाद नहीं खरीद सके। जिसका उन पर असर पड़ा। कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी के असर पर एक रिपोर्ट भी संसदीय समिति को सौंपी है।
कृषि मंत्रालय ने समिति को बताया कि नोटबंदी जब लागू हुई तब किसान या तो अपनी खरीफ की पैदावार बेच रहे थे या फिर रबी फसलों की बुआई कर रहे थे। ऐसे समय में किसानों को नगदी की जरूरत होती है, पर उस समय कैश की कमी के चलते लाखों किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके।
कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक कहा है कि बड़े किसानों को भी खेती के कामों का मेहनताना देने और खेती की जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत का सामना करना पड़ा था। मंत्रालय ने बताया कि कैश की कमी के चलते राष्ट्रीय बीज निगम के लगभग एक लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे।
हालांकि सरकार ने बाद में गेहूं के बीज खरीदने के लिए एक हजार और 5 सौ रुपए के पुराने नोटों के इस्तेमाल की छूट दे दी थी। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की इस छूट के बाद भी बीज के बिक्री में कोई खास तेजी नहीं आई थी। श्रम मंत्रालय ने समिति के समक्ष नोटबंदी की तारीफ करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के बाद के क्वार्टर में रोजगार के आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
यह भी देखे : महानदी में यात्रियों से भरी बस गिरी…12 लोगों की मौत…49 घायल…
Add Comment