नई दिल्ली। अगर कोई सेक्स वर्कर है तो भी उसे यौन संबंध बनाने से इनकार करने का अधिकार है। राजधानी में 1997 में हुए गैंगरेप के मामले में चार आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। 28 जुलाई 1997 को कटवारिया सराय इलाके में हुए एक घटना में निचली अदालत ने आरोपियों को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।
लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने पीडि़त महिला के खिलाफ इस शिकायत को तरजीह दी कि वह सेक्स वर्कर थी और उसका कैरेक्टर ठीक नहीं था। हाईकोर्ट ने मई 2009 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और आरोपियों को सजा पूरी करने के लिए चार हफ्ते में सरेंडर करने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई सेक्स वर्कर है तब भी उसे शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने का पूरा अधिकार है। ट्रायल कोर्ट ने सही फैसला दिया था कि अगर महिला अनैतिक काम में लगी भी थी तो भी आरोपियों को इस बात का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वे उस महिला की मर्जी के खिलाफ रेप करें।
कोर्ट ने कहा कि अगर इस बात के सबूत भी हैं कि पीडि़ता शारीरिक संबंध बनाने की आदी है तो भी उसे इंकार का अधिकार हासिल है। आसानी से उपलब्ध होने वाली महिला के साथ रेप का अधिकार नहीं मिल जाता। यह तयशुदा सिद्धांत है कि पीडि़ता का बयान अगर विश्वसनीय है तो उस आधार पर आरोपी को सजा हो सकती है।
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