नई दिल्ली। सीबीआई विवाद को लेकर कांग्रेस ने भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि एक ऐसी कमिटी, जिसके पीएम अध्यक्ष हैं और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष इसके सदस्य हैं। कमिटी ने सीबीआई चीफ को नियुक्ति दी है लेकिन सरकार ने उन्हें हटाते वक्त कमेटी से पूछा तक नहीं।
सरकार को सीबीआई निदेशक का मामला कमिटी के सामने लाना चाहिए था। सीवीसी पर भी भारी दबाव है। सरकार ने इस केस में अपनी मनमर्जी की है। सरकार को अपने घोटालों की वजह से नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने रात में ही सीबीआई का खेल कर दिया। सरकार को गुस्सा आया कि सीबीआई चीफ राफेल घोटाले की शिकायत करने आए लोगों से क्यों मिले। आलोक वर्मा ने अरुण शौरी, प्रशांत भूषण का मेमोरेंडम सरकार से बिना पूछे क्यों लिया। अब वर्मा को इसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने सीबीआई प्रकरण को लेकर पीएम को पत्र लिखा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार ने अब अपनी जांच एजेंसी की जासूसी करनी शुरू कर दी है। सुबह आईबी के चार आदमी पीएम के निर्देश पर वर्मा के घर के बाहर जासूसी करते पकड़े गए हैं। रात में सरकार को जो अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव मिले, वह भी संदिग्ध निकला। उनके ऊपर वरिष्ठ अफसर मौजूद हैं लेकिन उन्हें अंतरिम निदेशक नहीं बनाया। वीजीएन डेवेले का घोटाला सबके सामने है। वर्दी घोटाले में शामिल हैं, 2015 में सीबीआई के बड़े अधिकारी ने संदिग्ध बताया था।
मंगलवार रात को सीबीआई के अंतरिम निदेशक का कार्यभार संभालने वाले नागेश्वर राव पर भी अपनी ड्यूटी में कथित तौर से कई तरह की अनियमितताएं बरतने के आरोप लगे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है, वीएनजी स्कैम की जांच चेन्नई जोन में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच को सौंपी गई थी। दो साल बाद भी आरोपियों के घरों, वीजीएन डेवेलेपर और एचटीएल के दफ्तरों पर सर्च करने में सीबीआई फेल रही। आरोप है कि नागेश्वर राव ने सीबीआई टीम को सर्च करने का निर्णय नहीं लेने दिया और न ही मार्गदर्शन किया।
नागेश्वर राव को भ्रष्ट अफसर बताया गया है। ओडिशा पुलिस में भी उनकी भूमिका अच्छी नहीं रही है। आरोप है कि उन्हें एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की सिफारिश पर सीबीआई में पोस्टिंग दी गई थी। ओडिशा के पूर्व मुख्य सचिव राम मोहना राव के साथ उनके घनिष्ठ संबंध रहे हैं और उन्होंने मोहना के साथ मिलकर वीजीएन केस को शांत तरीके से दफन कर दिया।
इन दोनों अधिकारियों की मिलीभगत से मद्रास हाईकोर्ट में यह कहा गया कि वीजीएन केस से सरकार को केवल 53.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि सही नुकसान काफी ज्यादा था। हाईकोर्ट इनकी बातों से सहमत नहीं हुआ और बाद में इस केस की जांच ईडी को सौंप दी गई। ईडी ने एक ही झटके में वीजीएन की 115 करोड रुपये की प्रॉपर्टी अटैच कर दी।
आरोप यह भी है कि नागेश्चर राव ने इस मामले में जांच को मॉनीटर तक नहीं किया। इस केस में बड़े पैमाने पर बैंक एवं दूसरे अफसरों को घूस दी गई लेकिन सीबीआई चुप रही। इस बाबत सबूत भी दिए गए, मगर कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक नागेश्वर राव ने अपने जांच अधिकारी पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का दबाव भी डाला।
उनकी पत्नी ने भी ऐंजेला मरसनटाइल प्राइवेट लि. में साठ लाख रुपये निवेश किए थे। इसके अलावा राव ने उड़ीसा के खुर्दा में एक महिला से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन ली थी। यह उल्लेख भी किया गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने राव के पास से अहम केसों की जांच दूसरी विंग यानी बैंकिंग एंड सिक्योरिटी फ्रॉड सैल बंगलुरु को ट्रान्सफर कर दी थी।
मल्लिकार्जुन खडग़े का कहना है कि वरिष्ठ अफसर आरके दत्ता, जिनके पास सीबीआई में 208 माह तक काम करने का अनुभव है। वे जांच एजेंसी में विशेष निदेशक रहे हैं। उन्हें निदेशक क्यों नहीं बनाया गया, उनसे जूनियर अफसर को अंतरिम निदेशक बना दिया गया।
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