डिप्रेशन से परेशान एक बेरोजगार युवा इंजीनियर ने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। युवक के पिता सिंचाई विभाग में सुपरवाइजर के पद पर थे। वह घर से अपनी मां को बेरोजगार इंजीनियरों को सरकार द्वारा सरकारी निर्माण कार्यों में ठेकेदारी करने के लिए दिए गए पंजीयन-पत्र की फोटो कॉपी कराने जाने की जानकारी देकर बाइक से निकला था।
अंबिकापुर ठाकुरपुर निवासी 30 वर्षीय नीरज कुमार यादव मंगलवार को साढ़े 3 बजे घर से निकला। इसके बाद 5 बजे उसकी भाभी ने वापस आते समय दूध लाने कहा, तब उसने शाम 7 बजे तक लौटने की बात बताई थी। इसके बाद शाम सवा 7 बजे के करीब उसके चाचा को पुलिस ने फोन कर मौके पर बुलाया।
उसने मेमो ट्रेन के सामने आकर जान दी। इसके बाद ग्रामीणोें ने शव देखा। वहीं उसके पास से सुसाइट नोट भी मिला, जिसमें अपने चाचा का मोबाइल नंबर लिखा था। उसे पुलिस ने जब्त कर लिया। सुसाइट नोट में लिखा है कि मैं डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारी से लड़कर हार गया हूं। दवा भी बहुत खाया हूं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। परिवार से बहुत प्यार मिला और दोस्तों से भी। मैं पूरी तरह से हार गया हूं, माफ करना ऐसा कदम उठाने के लिए।
तय हो चुका था शादी के लिए रिश्ता
नीरज की शादी की तैयारी भी परिजनों ने शुरू कर दी थी। दशहरा के समय उसका तिलक उत्सव होने वाला था। उसके लिए उन्होंने अपने गृह ग्राम मध्यप्रदेश के चित्रकूट में ही लड़की पसंद किया था। घटना के बाद सुबह बुधवार को उसके शव का पोस्टमार्टम किया गया और अंतिम संस्कार के लिए शव को परिजन चित्रकूट ही ले गए।
नौकरी के लिए कई जगह दे चुका था आवेदन
नीरज के चाचा ने बताया कि उसने दो साल पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। इसके बाद नौकरी के लिए कई जगह अप्लाई किया था और साक्षात्कार में भी शामिल हुआ था। वहीं वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रहा था। परिवार के बीच कभी इस बात का अहसास नहीं होता था कि वह तनाव में है और न ही परिजन को इसकी जानकारी थी कि वह डिप्रेशन की दवाइयां खाता है, क्योंकि घर में किसी डाॅक्टर का कोई पर्ची नहीं है।





