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पाकिस्तान में बढ़ गए तीन लाख से ज्यादा हिंदू वोटर, पार्टियां रिझाने की जुगत में, कई सीटों पर जीत-हार में निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका, पढ़े पूरी खबर

पाकिस्तान में नेशनल एसेंबली के लिए चुनाव 25 जुलाई को होने वाले हैं। इन चुनावों से पहले इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान (ईसीपी) ने वोटर्स के आंकड़े जारी किए हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि पिछले पांच सालों में पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें सबसे ज्यादा हिंदू वोटर्स है। पाकिस्तान में हर पार्टी हिंदू वोटर्स को रिझाने की कोशिश में लगी है, क्योंकि कई सीटों पर वो फैसलों पर असर डाल सकते हैं।

क्यों बढ़ी हिंदू वोटरों की संख्या?
पाकिस्तान चुनाव आयोग जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013 के चुनावों में हिंदू वोटरों की संख्या 14 लाख थी, जो 2018 में 17.7 लाख हो गई है। पांच सालों में तीन लाख 70 हजार का इजाफा हुआ है। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। अगर आबादी की बात करें तो वर्ष 2017 उनकी आबादी 38.8 लाख थी। दुनियाभर में हिंदुओं की पांचवीं बड़ी आबादी पाकिस्तान में रहती है। पीईडब्ल्यू संस्था की रिसर्च कहती है 2050 तक वहां 52 लाख से ज्यादा हिंदू हो जाएंगे। तब पाकिस्तान हिंदू आबादी के मामले में चौथा बड़ा देश होगा। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मतदाताओं को जागरूक करने के साथ नए मतदाताओं को जोडऩे के लिए पिछले कुछ महीनों में जबरदस्त अभियान चलाया था। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीए) ने भी मतदाताओं को जोडऩे की कोशिश की है। दोनों ही पार्टियों को लगता है कि नए वोटर उनकी पार्टी से जुड़ेंगे, इसलिए दोनों सियासी दलों ने चुनाव आयोग के साथ वोटर रजिस्ट्रेशन कराने का अभियान चलाया।बहुत से हिंदू पाकिस्तान में रेगिस्तानी इलाकों से ताल्लुक रखते हैं. वो खानाबदोश कबीलों की तरह रहते हैं. उनका कोई स्थाई पता नहीं है. ये लोग अब भी वोटर रजिस्ट्रेशन में शायद शामिल हो पाए हों।

और बढ़ सकती है वोटर्स?
इमरान खान की पार्टी पीटीए के मैदान में आने के बाद से चुनाव त्रिकोणीय हो गए हैं। अब तक पाकिस्तान में राष्ट्रीय स्तर के चुनाव आमतौर पर दो पार्टियों के बीच ही होते आए थे। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) जिससे बहुत से लोगों की चुनावों में दिलचस्पी खत्म हो गई थी, लेकिन इमरान की पार्टी के आने के बाद वो स्थिति खत्म हो गई है।

चुनावों में असर डालेंगे हिंदू वोटर ?
कुछ सीटों पर हिंदुओं का वोट किसी भी सियासी पार्टी के लिए निर्णायक होता रहा है, क्योंकि वहां हार-जीत का अंतर बहुत कम वोटों से होता है, लेकिन सिंध और उमरकोट के साथ उमर पाकर ऐसे दो जिले हैं, जहां हिंदुओं की आबादी करीब 40 फीसदी है। वहां पर हिंदू निश्चित तौर पर डिसाइडिंग फैक्टर होते हैं। साथ ही सिंध प्रांत और पंजाब में अल्पसंख्यक हमेशा से अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं। एक जमाने में राना चंद्र सिंह पाकिस्तान के कद्दावर हिंदू नेता थे, जो मंत्री भी बने

पाक में कोई हिंदू सियासी दल
पाकिस्तान में एक कद्दावर हिंदू राजनीतिज्ञ राना चंद्र सिंह थे. वो पाकिस्तान में अमरकोट (अब उमरकोट) जागीर के पूर्व शासक थे। उनका इस इलाके में जबरदस्त रूतबा है। राना चंद्र पाकिस्तान में केंद्रीय मंत्री भी बने। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापकों में थे। सात बार वो उमरकोट से पीपीपी के टिकट पर सांसद चुने गए। 1990 में उन्होंने पाकिस्तान हिंदू पार्टी (पीएचपी) बनाई। वर्ष 2009 में उनका निधन हो गया। इस पार्टी का अस्तित्व भी उसी के साथ खत्म हो गया।
वहां क्रिश्चियनों के कई सियासी संगठन हैं। हालांकि उनका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं है। दर्शन लाल को पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने मौजूदा सरकार में मंत्री बनाया था। वो पाकिस्तान के इतिहास में राना चंद्र सिंह के बाद दूसरे हिंदू मंत्री हैं। इसके अलावा कई हिंदू सांसद भी पाकिस्तान की मौजूदा नेशनल असेंबली में सांसद हैं।

पाक की नेशनल असेंबली में 372 सीटें, 6 हिंदू सांसद?
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 372 सीटें हैं। इसमें 272 के लिए सीधे चुनाव होता है, जबकि 60 सीटें रिजर्व हैं। 60 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हैं तो दस अल्पसंख्यकों के लिये। इन दस अल्पसंख्यक सीटों में 6 पर हिंदू सांसद चुने जाते हैं। मौजूदा नेशनल असेंबली में भी यही स्थिति है। दस अल्पसंख्यक रिजर्व सीटों में छह पर हिंदू, तीन पर ईसाई और एक पर पारसी समुदाय के नेता को सांसद के बतौर चुना गया था। वहां सांसदों को मेंबर ऑफ पार्लियामेंट नहीं बल्कि मेंबर ऑफ नेशनल असेंबली यानि एमएनए कहा जाता है।

नेशनल असेंबली के अलावा नेशनल सीनेट में भी?
भारत में जिस तरह राज्यसभा है, उसी तरह पाकिस्तान में नेशनल सीनेट है, जो 104 सदस्यीय है। उसमें भी हिंदू सदस्य चुने जाते हैं। हाल ही में एक हिंदू दलित महिला कृष्णा कुमारी को सीनेट चुना गया है। वो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सदस्य हैं और बलूच प्रांत से ताल्लुक रखती हैं।

 

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