नई दिल्ली। मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिलने वाली दर्द निवारक और कफ सिरप जैसी दवाएं अब नहीं मिलेंगी। केंद्र सरकार ने ऐसी 328 दवाओं पर रोक लगा दी है। इनमें कई ऐसी दवाएं हैं, जो डॉक्टर की पर्ची के बिना भी दुकान पर आसानी से मिल जाती थी। ये फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाएं हैं। इससे एबॉट, पीरामल, मैक्लिऑड्स, सिप्ला और ल्यूपिन जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कमाई प्रभावित होगी।
देश में इन दवाओं के करीब 6 हजार से अधिक ब्रांड हैं। ये दवाइयां मरीजों के लिए खतरनाक हैं। ड्रग टेक्नोलॉजी एडवाइजरी बोर्ड (डीएटीबी) ने मंत्रालय को इस तरह की सिफारिश दी है। डीएटीबी ने यह सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल दिए गए आदेश पर दी है। अब सरकार ने इन दवाइयों को बैन करने की अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि इसके लिए कोर्ट के दरवाजे खटखटाए जा सकते हैं। डीएटीबी ने यह भी कहा है कि ये दवाएं मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
कई बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दो या दो से अधिक सामग्रियों के मिश्रण के एक निश्चित खुराक का पैक फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) कहलाता है। ड्राफ्ट में पैरासिटामोल+फेनिलेफ्राइन+कैफीन, क्लॉरफेनिरामाइन मैलिऐट+कोडाइन सिरप और पैरासिटामोल+प्रॉपिफेनाजोन+कैफीन जैसे कॉम्बिनेशनों को एफडीसीज में शामिल किया गया है।
इन 328 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बाद मेडिकल स्टोर पर इनकी बिक्री गैरकानूनी होगी। अगर किसी मेडिकल स्टोर पर यह दवाएं बिक्री बेची जाती है तो उक्त मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगा।
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