कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी वामपंथी विचारकों की गिरफ़्तारी पर सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा,,..
‘भारत में सिर्फ एक NGO के लिए जगह है और इसका नाम RSS है. बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो। सभी एक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिकायत करें उन्हें गोली मार दो। न्यू इंडिया में आपका स्वागत है।’
There is only place for one NGO in India and it’s called the RSS. Shut down all other NGOs. Jail all activists and shoot those that complain.
Welcome to the new India. #BhimaKoregaon
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 28, 2018
इस मामले में पुलिस ने छापेमारी कर दिल्ली से एक्टिविस्ट गौतम नवलखा, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और वामपंथी चिंतक वरवर राव सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए सभी लोग वामपंथी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं और इसीलिए लेफ्ट पार्टियां यह आरोप लगा रही हैं कि केंद्र सरकार जानबूझ कर उन्हें निशाना बना रही है। जबकि पुलिस का दावा है कि गिरफ्तार किए गए लोग माओवादियों और नक्सलियों से जुड़े हुए हैं।
A team of 10 people came today morning, they didn’t have a search warrant but were carrying another document. They checked our mobile phones & laptops and took all passwords: Maaysha, daughter of Sudha Bharadwaj (arrested in connection with #BhimaKoregaon violence) pic.twitter.com/FmkP6MuatV
— ANI (@ANI) August 28, 2018
प्रकाश करात ने भी तंज कसा
राहुल गांधी के अलावा CPM नेता प्रकाश करात ने भी केंद्र सरकार की निंदा की है । वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए करात ने कहा, ‘’यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर एक बड़ा हमला है। हम मांग कर रहे हैं कि इन लोगों के खिलाफ सभी मामलों को वापस ले लिया जाए और उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए।’’
सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को फौरी राहत
इस बीच भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में फरीदाबाद से गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को फौरी तौर पर राहत दी गई है। सुधा भारद्वाज के ट्रांजिट रिमांड पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 3 दिन का स्टे लगा दिया है।
इससे पहले भारद्वाज की तरफ से की गई ट्रांजिट बेल की अपील फरीदाबाद के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज कर दी थी। जिसके बाद हाईकोर्ट से उन्हें 3 दिन की राहत मिली है। इस दौरान सुधा भारद्वाज 3 दिन तक हाउस अरेस्ट में रहेंगी।
क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा?
इसी साल 1 जनवरी को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी। पूरा झगड़ा 29 दिसंबर से शुरू हुआ था। 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई।
1 जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई। इसके बाद देखते ही देखते यह हिंसा बढ़ती चली गई।
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