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VIDEO: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में संचालक और एसडीओ की लड़ाई, SDO ने कार्यालय मे लगाया ताला

चंद्रकांत परगिर, बैकुंठपुर। कोरिया ज़िला मुख्यालय बैकुंठपुर स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में संचालक और एसडीओ की लड़ाई आज ताला बंदी पर आ गई। पार्क संचालक पर मनमानी का आरोप , उनका कहना है कि संचालक उनकी 4 दिन की अनुपस्थिति लगाये है उनका वेतन रोक दिए है, इन्क्रीमेंट रोक दिए है।

वही संचालक का कहना है कि विभागीय प्रक्रिया के तहत काम हो रहा है। कलेक्टर के काम मे नही गए थे इसलिए वेतन रोका गया है। वही मामले पर पंचनामा बना कर ताले को तोड़ दिया गया।



इस संबंध में सीसीएफ केके बिसेन का कहना है दोनो की लड़ाई में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की हानि हो रही है। जानकारी के अनुसार शनिवार को एसडीओ राजकुमार उरांव ने जैसे ही अम्बिकापुर से पार्क संचालक एफ टोप्पो कार्यालय पहुँचे, एसडीओ ने अंदर से ताला लगा दिया। इसकी भनक मीडिया को लगी, एसडीओ से तालाबंदी का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके चार दिन का बेवजह अनुपस्थिति लगा दी गयी है। उनका इन्क्रीमेंट रोक दिया गया है।

पत्राचार करते करते वे थक गए है। इस दौरान 12 कार्यालय का स्टाफ और तीन बाहर से आये लोग कार्यालय में बंद हो गए, कुछ देर बाद मीडिया ने पार्क संचालक एफ टोप्पो को बुलवाया गया तो हैरानी जताने लगे, उसके बाद संचालक एसडीओ के चेम्बर पहुँचे और एसडीओ को मीडिया के सामने कारण बताने को कहा।

जिसके बाद दोनो में तेज झड़प होने लगी, उसके बाद पार्क संचालक ने सीसीएफ को फोन कर मामले की जानकारी दी, सीसीएफ ने पंचनामा बना कर ताला तोड़ने को कहा, जिसके बाद पंचनामा बना के ताला तोड़ा गया। इधर, पार्क संचालक ने कहा कि एसडीओ को बन्द कर हम लोग चले जाते है जिस पर एसडीओ का कहना है मैं यही बैठे रहूँगा जब तक मेरा वेतन नही मिल जाता है।



हमेशा रहता है यहां विवाद
जानकारी वर्ष 2014 से पदस्थ पार्क संचालक एफ टोप्पो और एसडीओ राजकुमार उरांव के बीच कई साल से तनातनी चल रही है। दोनो अपने उच्च अधिकारियों को एक दूसरे की शिकायत आये दिन करते रहते है।

एसडीओ उरांव का कहना है संचालक खुद मुख्यालय में नही रहते है। वही एसडीओ उरांव की सर्विस 11 महीने की ही बची उनका कहना है कि मुझे कई साल से संचालक के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि संचालक इसे सिरे से नकार रहे है।

कई बार उनके खिलाफ बनाये आरोप पत्र
एसडीओ का कहना है उनके खिलाफ उन्हें ससपेंड करने संचालक ने कई बार आरोप पत्र बनाये और उच्च अधिकारियों से मेरी कई शिकायत की। परंतु हर जांच में मेरी जीत हुई है।

पिछले वर्ष हुआ था ट्रांसफर
जानकारी के अनुसार बीते वर्ष 2017 के अगस्त माह में संचालक का स्थानांतरण अन्तागढ़ कर दिया गया था, बाद में पता नही कैसे फिर राज्य शासन ने उनका स्थानांतरण निरस्त कर दिया।

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