रायपुर। दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ के कई ज़िलों में डेंगू का प्रकोप महामारी का रुप ले चुका है और डेंगू पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अकेले दुर्ग ज़िले में डेंगू से मरने वालों की संख्या 22तक पहुंच चुकी है।
लेकिन राज्य की रमन सिंह सरकार महामारी को गंभीरता से लेने की जगह उत्सव और तिहार मनाने में मस्त है। कांग्रेस ने मांग की है कि दुर्ग के अलावा पूरे प्रदेश में डेंगू को महामारी घोषित कर इलाज की समुचित व्यवस्था की जाए और मृतकों के परिजनों को तत्काल मुआवज़ा देने की घोषणा की जाए।
कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने कहा है कि डेंगू का फैलाव ने भाजपा सरकार के विकास की दावों की पोल खोल दी है। इससे ज़ाहिर हुआ है कि शहरों और कस्बों में साफ़ सफ़ाई की अभाव है और विकास के नाम पर सिर्फ़ सड़कें और इमारतें बनाई गई हैं।
इससे प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान पर भी सवाल खड़े हुए हैं। नगर निगमों सहित सभी स्थानीय निकायों के अधिकार सरकार ने लगातार कम किए हैंऔर कलेक्टरों के माध्यम से सरकार मनमानी कर रही है। इससे चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अवमानना भी हुई है।
यह कोई ग्राम सुराज तो नहीं है। भिलाई नगर निगम का उदाहरण बताता है कि दुर्ग कलेक्टर की लापरवाही और मनमानी की वजह से ही वहां डेंगू का प्रकोप फैला है। अगर समय रहते कलेक्टर साफ़ सफ़ाई का इंतज़ाम करते तो इसे महामारी में बदलने से रोका जा सकता था।
डॉ गुप्ता ने कहा है कि जो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर का रवैया भी जनविरोधी नज़र आता है। प्रदेश में महामारी फैलने के 20 दिनों तक वे कोई कार्रवाई करते नज़र नहीं आए। उन्होंने कहा है कि सरकार को अब जागना चाहिए और घोषणा करनी चाहिए कि डेंगू से पीड़ित सभी मरीज़ों का इलाज मुफ़्त में होगा।
सरकार को यह भी घोषणा करनी चाहिए कि इलाज से पहले पीड़ित के परिजनों को अनावश्यक कागज़ी कार्रवाई करने के झंझट से मुक्त रखा जाएगा। उन्होंने डेंगू के फैलाव के लिए दोषी अधिकारों की जवाबदेही तय करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि सरकारी अस्पतालों का ऐसा हाल हो गया है कि डेंगू के मरीज़ वहां इलाज नहीं करवाना चाहते और प्राइवेट अस्पतालों को सरकार कागज़ी कार्रवाई में उलझा रही है।
कांग्रेस ने मांग की है कि डेंगू से हुई मौतों के लिए सरकार को तत्काल मुआवज़ा देने की घोषणा भी करनी चाहिए। डॉ गुप्ता ने कहा है कि देश के 21 राज्यों में स्वास्थ्य के मामले में यदि छत्तीसगढ़ को 20 वां स्थान मिला है तो इसकी वजह स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य के मामलों के प्रति अनदेखी का नतीजा है।
भाजपा सरकार में न तो नसबंदी के ऑपरेशन सुरक्षित हैं, न ही मोतियाबिंद का इलाज। लगातार होती स्वास्थ्य दुर्घटनाओं को देखते हुए स्वास्थ्यमंत्री को अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और अपने पद से तत्काल इस्तीफ़ा देना चाहिए।
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