रायपुर। प्रदेश के शिक्षाकर्मियों द्वारा विगत कई वर्षों से शिक्षा विभाग के मूलपदों पर संविलियन की मांग की जा रही थी, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पूर्ण करते हुए 8 वर्ष से अधिक लगभग एक लाख 5 हजार शिक्षाकर्मियों का शिक्षाविभाग में संविलियन करते हुए सातवाँ वेतनमान प्रदान किया। शासन को उम्मीद यह थी कि यह संविलियन की घोषणा से वह शिक्षाकर्मियों को साध लेगी किन्तु संविलियन मिलने के बाद भी वर्ग 3 और 8 वर्ष से कम वाले शिक्षाकर्मियों में असंतोष का भाव दिखाई दे रहा है।
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उनके असंतोष को देखते हुए कुछ ऐसे संगठन जो संविलयन आंदोलन से दूरी बनाकर रखे थे उन्होंने उनके मुद्दे को भुनाने में तत्परता दिखाई और असंतुष्ट वर्ग को फेडरेशन के नाम पर एकत्रित करना शुरू कर दिया और फिर से आंदोलन की ताल ठोंक चुका है, वहीं संविलियन आंदोलन के सूत्रधार मोर्चा शासन से मिली संविलयन/शासकीयकरण को पूर्ण करने में अपनी प्राथमिकता दिखाते हुए वेतन विसंगति,क्रमोन्नति/समयमान, अनुकम्पा जैसे मुद्दे को सकारात्मक तरीके से समाधान की बात की,मोर्चा के भी इस मुद्दे पर बिखरती नजर आ रही है।
2 प्रांताध्यक्ष शासन का विरोध करते दिखे,तो पुराना सन्गठन पूरी तरह चुप्पी बनाये रखा,वहीं एक संगठन लगातार समस्या समाधान हेतु एकजुटता की बात कहते एकता हेतु प्रयास करते नजर आया।
सर्वविदित है कि शिक्षाकर्मियों को जब भी कुछ मिला है तो वह उनकी एकजुटता से ही प्राप्त हुआ है,ऐसे में प्रदेश के समस्त समझदार शिक्षाकर्मी अलग-अलग आंदोलन और सम्मेलन की बात से चिंतित नजर आ रहे हैं।अलग-अलग राह में चलने से शिक्षाकर्मियों को कभी कुछ नही मिला है जबकि जब जब इन्होंने एकजुटता दिखाई है बड़े लाभ की प्राप्ति हुई है।
फेडरेशन के नेतृत्वकर्ता लगातार आंदोलन के जरिये अपनी बात मनवाना चाहते हैं,किन्तु उनके रास्ते का रोड़ा यह है कि आज प्रदेश का अधिकांश कर्मचारी संगठन आंदोलन कर रहा है,ऐसे में आंदोलनकारी शिक्षाकर्मियों की बात कितनी सुनी जाएगी यह संदेहास्पद है। वहीं पुराना सन्गठन एक बार फिर अपना अलग राह पकडते दिख रहा है,एक ओर जब मुख्यमंत्री स्वयं यह कह चुके हैं कि सभी सन्गठन मिलकर सम्मेलन का आयोजन करें,तब यह संगठन केवल अपने बैनर तले सम्मेलन की बात कह रहा है,जिसकी खूब आलोचना भी हो रही है।यह भी देखें :
मोर्चा का अहम घटक शालेय शिक्षाकर्मी संघ ने भी कल 19 अगस्त को अपनी प्रांतीय बैठक आशीर्वाद भवन रायपुर में आहूत की है,जिस पर पूरे प्रदेश की शिक्षाकर्मियों की नजर बनी हुई है कि वो कल अपना कौन सा पत्ता फेंकने वाले हैं! वैसे इसके मुखिया वीरेन्द्र दुबे कई मर्तबा एकजुटता की बात कह चुके हैं। आंदोलन और सम्मेलन के बीच इस संगठन का क्या रुख होगा यह तो कल ही पता चलेगा, परन्तु एक बात शिक्षाकर्मियों के इतिहास से स्पष्ट है की शिक्षाकर्मियों की बात तभी मानी गई है जब-जब उन्होंने एकजुटता दिखाई है।
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