नई दिल्ली। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो गए। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर स्मृति स्थल पर पहुंचा वहां मंत्रोचार शुरु हो गया। सेनाओं के तीनों अंगों के जवान उनके पार्थिव शरीर को अपने कंधों पर उठाकर उस स्थान तक पहुंचाया, जहां अटल बिहारी वाजपेयी की काया को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार मोक्ष प्रदान किया जाएगा।
चूंकि उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज से होना था, इसलिए समाधि स्थल से पहले पांरपरिक रुप से तैयार होने वाली काठी बनाई गई थी, जो बांसे से बनती थी। काफिन से निकालकर अटल बिहारी की काया को उस काठी पर रखा गया।
आखिरी कुछ कदम उसे काठी में उनकी पार्थिव शरीर को रखकर उस स्थान पर पहुंचाया जाएगा, जहां उनकी बेटी नमिता ने अटल बिहारी वाजपेयी को मुखाग्नि दी। भले ही अटल जी अब धरातल को छोड़ चुके हैं, लेकिन उनके जैसा व्यक्तिव भारतीय राजनीति में दोबारा पैदा नहीं हो सकता।
अटल जी अपने फैसलों को लेकर भी अटल थे। वे भले ही भाजपा में रहे, लेकिन उन्होंने हमेशा विपक्षियों के ऐसे फैललों का समर्थन किया, जो भारत के हित में थे। उन्होंने सदन में भाषण के दौरान कहा था कि पार्टियों आती रहेगी, जाती रहेगी।
लोग आएंगे, जाएंगे, लेकिन भारत रहना चाहिए। भारत का लोकतंत्र रहना चाहिए। उनका यह ऐतिहासिक भाषण इस बात का सबूत है, कि वे केवल भारत के बारे में सोचते थे, न कि सत्ता के बारे में। उनकी इस छवि की वजह से उनकी स्वीकार्यता सभी दलों और नेताओं के बीच थी।
शुक्रवार दोपहर को भाजपा कार्यालय से उनका पार्थिव शरीर स्मृति स्थल के लिए अंतिम यात्रा पर निकला। स्मृति स्थल पर अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि होगी। अटल बिहारी वाजपेयी को समाधि स्थल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, तीनों सेनाओं के प्रमुख, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, पीएम नरेन्द्र मोदी, उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू, भूटाने के राजा जिग्मे खेसर, बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद अली, नेपाल के मंत्री प्रदीप ग्यावली, श्रीलंका के लक्ष्मण किरिएला, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, लालकृष्ण आडवाणी, अमित शाह, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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