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Independence Day : मोदी हो जाएंगे इस मामले राजीव-नरसिम्हा राव के बराबर

खबरीलाल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर बुधवार को जब लाल किले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहरायेंगे तो वह पांच या उससे अधिक बार यह सम्मान हासिल करने वाले देश के सातवें और दूसरे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री होंगे। मई 2014 में देश की बागडोर संभालने वाले मोदी ने उस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था और बुधवार को वह पांचवीं तथा अपने मौजूदा कार्यकाल में अंतिम बार लालकिले पर तिरंगा फहरायेंगे। ऐसा करने वाले वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दूसरे नेता होंगे।
अटल विहारी वाजपेयी छह बार फहरा चुके हैं झंडा
पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी छह बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्रियों में राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव ने भी पांच-पांच बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया है।

पंडित नेहरु ने 17 बार फहराया ध्वज
पंडित नेहरु ने 1947 से लेकर 1963 तक लगातार 17 बार लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। उनकी पुत्री और देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस रिकार्ड के निकट तक पहुंची, लेकिन वह इसकी बराबरी नहीं कर पायी। इंदिरा गांधी को 16 बार तिरंगा फहराने का अवसर मिला। उन्होंने 1966 से लेकर 1976 तक लगातार 11 बार तथा 1980 से लेकर 1984 तक पांच बार लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। नेहरु गांधी परिवार के एक अन्य सदस्य राजीव गांधी को पांच बार यह सम्मान मिला। नेहरु, इंदिरा के बाद सबसे अधिक 10 बार राष्ट्रीयध्वज फहराने का मौका डा. मनमोहन सिंह को मिला। उन्होंने 2004 से लेकर 2013 तक लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया।
55 बार कांग्रेसी पीएम ने लहराया ध्वज
कांग्रेस से चुनकर आये प्रधानमंत्रियों ने 55 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। इसमें से 38 बार यह गौरव नेहरु-गांधी परिवार के सदस्यों को मिला। नेहरु, इंदिरा और राजीव गांधी के अलावा डा मनमोहन सिंह ने 10 बार, पी वी नरसिंह राव ने पांच बार तथा पंडित नेहरु की मृत्यु के बाद देश की बागडोर संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने दो बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों में श्री वाजपेयी सबसे आगे हैं। उसके बाद मोदी हैं।

चंद्रशेखर को नहीं मिला अवसर
आपातकाल के बाद 1977 में केंद्र में बनी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने वाले मोरारजी देसाई को दो बार लालकिले के प्राचीर पर झंडा फहराने का मौका मिला। चार प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को एक-एक बार यह सम्मान मिला। चंद्रशेखर एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और राष्ट्र को संबोधित करने का अवसर नहीं मिला। पंडित नेहरु और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु होने के समय दो बार कुछ कुछ समय के लिये प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले गुलजारी लाल नंदा को भी यह राष्ट्रीय अवसर नहीं मिला।

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