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छत्तीसगढ़ में बच्चे सुरक्षित नहीं, राज्य के सभी एकीकृत बाल संरक्षण गृहों तथा आवासीय संस्थानों की मुजफ्फरपुर की तरह हो जांच-त्रिवेदी

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक आश्रय से संबंधित 34 से अधिक बच्चों के साथ शारीरिक उत्पीडऩ और यौन शोषण की घटना सामने आई है। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार को भी जागृत होकर प्रदेश में शासकीय और अशासकीय तथा आवासीय विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। अन्य सरकारों की ही तरह छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार न केवल आश्रय घरों बल्कि स्कूलों और कन्या, छात्रावासों में भी शोषण से बच्चों की रक्षा करने में विफल रही है।


श्री त्रिवेदी ने कहा है कि मुजफ्फरपुर की घटना के बाद रमन सिंह को यहां के आश्रय घरों की जांच करनी चाहिए भी लेकिन रमन सिंह सरकार की इसके प्रति निष्क्रियता और अनिच्छता से राज्य में बच्चों की भलाई के प्रति सरकार की वचनबद्धता की कमी दिखाई देती। राज्य के बच्चे शोषण और दुव्र्यवहार के लिये निरंकुश सरकारी आश्रय घरों में छोड़ दिये गये है।

उन्होंने मांग की है किह इस जांच में आश्रय घरों में रहने वाले बच्चों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण और बच्चों के लिये राज्य द्वारा चलाये जाने वाले आवासीय संस्थानों के कर्मचारियों को चलाने वाले तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रमुखों और कर्मचारियों की पूरी तरह से जांच शामिल होनी चाहिये। कांग्रेस मांग करती है। कि सरकार एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में बाल संरक्षण विशेषज्ञों, बाल मनोवैज्ञानिकों, डॉक्टरों, वकीलों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की एक स्वतंत्र समिति का गठन करे। आश्रय घरों, अवलोकन घरों, आश्रम शाला और सामाजिक कल्याण घरों को जांच में शामिल किया जाना चाहिये।

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