रायपुर। वो तोड़ते रहे हम पढ़ते रहे, यह कहना है छत्तीसगढ़ के लाखों युवाओं का। उन्होंने आज यूथ फॉर एकात्मता प्रतियोगिता के माध्यम से नक्सलवाद का मुहतोड़ जवाब दिया है। युवाओं ने राज्य सरकार की प्रयास योजना, पोटा केबिन और आस्था गुरुकुल को नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बताया है। वहीं अधिकांश युवाओं ने जनजातीय संस्कृति को छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति माना है। छत्तीसगढ़ के महापुरुषों में आज भी शहीद वीर नारायण सिंह और गुरु घासीदास युवाओं के प्रेरणाश्रोत हैं।
यह रुझान राज्य सरकार द्वारा आयोजित यूथ फॉर एकात्मता प्रतियोगिता के प्रथम चरण में उभर कर सामने आया। आज प्रदेश के 750 कॉलेज में यह प्रतियोगिता हुई। इसमें लगभग 5 लाख से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। प्रथम चरण को लेकर युवाओं में आज जबरदस्त उत्साह था। राजनादगांव के दिग्विजय कॉलेज में मेले जैसा माहौल था, वहीं सुदूर दंतेवाड़ा और सुकमा के कॉलेजों में भी युवाओं ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। प्रथम चरण के विजेताओं को दुसरे चरण में मोबाइल पर डिजिटल गेम खेलने का मौका मिलेगा। कार्यक्रम संयोजक दानसिंह देवांगन ने बताया कि यूथ फॉर एकात्मता प्रतियोगिता के प्रथम चरण में युवाओं को चार विषय दिए गए थे। इसमें से किसी एक विषय पर अपने विचार 10 लाइन में लिखना था।
प्रतियोगिता का पहला विषय जनजातीय समाज की विशेषताएं पर युवाओं ने लिखा कि शहरी क्षेत्र में जहां लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को भूलते जा रहे हैं। वहीं जनजातीय समाज आज भी अपने संस्कृति और परंपरा को बचाए रखकर विकास के मुख्य धारा में शामिल हो रहा है। युवाओं ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं में प्रयास, पोटा केबिन, ऑनलाइन छात्रवृत्ति, उत्कर्ष योजना और आस्था गुरुकुल को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए मील का पत्थर बताया। युवाओं ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने दूरदर्शितापूर्ण निर्णय लेते हुए शिक्षा को नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बनाया। उनसे अन्य राज्यों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के विजेता को 51 हजार, दुसरे स्थान पर 31 हजार और तीसरे स्थान पाने वाले विजेता को 21 हजार का नगद पुरस्कार देकर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह उन्हें सम्मानित करेंगे। इसके अलावा दूसरे, तीसरे और चौथे स्टेप में जीतने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कार दिए जाएंगे।
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