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Covid-19 Vaccine: 12 साल से बड़े बच्चों को जल्द लगने शुरू होंगे कोरोना के टीके, आज मिलेगी Corbevax की पहली खेप

नई दिल्लीः भारत में 12 साल से ऊपर के बच्चों को जल्द ही कोरोना की वैक्सीन (corona vaccination) दी जाएगी. स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कॉर्बीवैक्स (Corbevax) की पहली खेप आज सरकार को मिलने जा रही है. ड्रग्स कंट्रोलर अथॉरिटी ऑफ इंडिया ((DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने एक दिन पहले ही 12 से 18 साल तक के बच्चों को ये वैक्सीन लगाने की सिफारिश की है.

कॉर्बीवैक्स वैक्सीन हैदराबाद की कंपनी बायलॉजिकल-ई (Biological E) ने बनाई है. सरकार ने पिछले साल 21 अगस्त, 2021 को ये वैक्सीन बनाने के लिए कंपनी को ऑर्डर दिया था. सरकार अब तक 30 करोड़ डोज का ऑर्डर दे चुकी है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, इसमें से 25 करोड़ डोज कंपनी तैयार कर चुकी है. बाकी डोज भी अगले कुछ हफ्तों में तैयार हो जाएंगी. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने कुछ शर्तों के साथ Corbevax को मंजूरी देने की सिफारिश की है. इस पर DGCI का अंतिम फैसला जल्द ही आ सकता है.

केंद्र सरकार इस वैक्सीन के लिए कंपनी को 1500 करोड़ रुपये एडवांस पेमेंट कर चुकी है. ये पेमेंट 145 रुपये प्रति डोज के हिसाब से किया गया है. इसमें टैक्स अलग रहेंगे. मतलब ये देश की सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन में से एक हो सकती है. इस वैक्सीन की भी दो डोज दी जाएंगी. पहली वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद दूसरी वैक्सीन लगवाई जा सकेगी. कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तरह ये वैक्सीन भी इंजेक्शन के जरिए मांसपेशियों में लगाई जाएगी.

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, Corbevax देश में तैयार पहली RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. मतलब ये कि ऐसी वैक्सीन है जो कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की सतह पर मौजूद प्रोटीन से तैयार की गई है. कोरोना वायरस के खूंटे जैसे स्पाइक्स पर ये प्रोटीन मौजूद होता है. इसी की बदौलत वायरस इंसानी शरीर में घुसकर ह्यूमन सेल्स पर धावा बोलता है और अपनी संख्या बढ़ाता है. लेकिन कोर्बेवैक्‍स के जरिए वैज्ञानिकों ने इसी प्रोटीन को कोविड वायरस के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का तरीका आजमाया है.

देश में 15 से 18 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन 3 जनवरी से चल रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अभी तक बच्चों को 6 करोड़ 71 लाख से अधिक दी जा चुकी हैं. 5.21 करोड़ बच्चों को पहली डोज लगाई जा चुकी है. दूसरी डोज लेने वाले बच्चों की संख्या 1.5 करोड़ है. इन बच्चों को अभी ज्यादातर कोवैक्सीन लगाई जा रही है.

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