चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया के बहरासी में 5 हाथियों के दल में शामिल एक हाथी के बच्चे की तबियत बिगड़ गयी, सुबह से शाम हो गयी, हथिनी अपने बच्चे को उठाने का प्रयास करती रही, दूसरी ओर हाथिनी को बेहोश करने आने वाली टीम शाम तक नही ं पहुंची, दूसरी और दल से बिछड़े तीन भी मौके पर पहुंच गए और एक बार तो सभी ने प्रयास कर बीमार हाथी के बच्चे को खड़ा भी कर दिया, अंधेरा हो जाने के कारण उसके इलाज की प्रक्रिया का रोक दिया गया है, वहीं चारों हाथी अपने बच्चे को दुरूस्त में लगे हुए है। बिलासपुर से आने वाली ट्रैक्यूलाइजर टीम 7.30 बजे शाम को पहुंच पाई है। पूजा करने गए एक व्यक्ति को हथिनी ने सूंड से दूर फेंक दिया, किश्मत अच्छी रही कि हथिनी दुबारा उसकी ओर नहीं गई, जिससे उसकी जान बच गई। इस संबंध में मनेन्द्रगढ वन मंडल के बहरासी रेंज के रेंजर शिावनंद द्विवेदी ने बताया कि वे और उनका अमला पूरे मामले पर नजर बनाया हुआ है, रात हो जाने के कारण अब सुबह ही रेस्क्यू आपरेशन चलाया जाएगा। हाथी के बच्चे का पेट संबंधी समस्या लग रही है, साथी हाथियों ने उसे उठाने का प्रयास कर रहे है।
जानकारी के अनुसार सुबह जब से खबर सोशल मीडिया में आई कि 5 हाथियों के दल में शामिल एक बालक हाथी बीमार हो गया है और उठाने उसकी मां लगातार प्रयास कर रही है, तो मनेन्द्रगढ वनमंडल समेत अम्बिकापुर मेे बैठे आला अधिकारी सक्रिय हुए और बताया जाता रहा कि डाक्टरों का दल पहुंच रहा है, तब तक मौके पर स्थानीय पशु चिकित्सक व मनेन्द्रगढ़ से पहुंचे पशु चिकित्सक हाथिनी को हटाने पहुंचने वाली टीम का इंतजार करती रही, इधर पूरे दिन हथिनी अपने बच्चे को उठाती और वो पूरा जोर भी लगाता और गिर जाता है। ऐसा कई घंटे चलता रहा है, वन विभाग के कर्मचारी दिनभर मौके पर तैनात रहे, इससे पहले बीते तीन दिनों से इस रेंज के प्रमुख के साथ उनके कर्मचारी रतजगा कर इस दल के आने जाने पर निगाह रखे हुए है। उधर, शाम होते होते जंगल में शामिल 3 और हाथी, हथिनी और बच्चे के पास पहुंच गए, चारों ने मिलकर उसे उठाने का प्रयास किया, छोटा हाथी एक बार खड़ा भी हो गया, परन्तु फिर वो बैठ गया। चारों अपने बच्चे को उठाने में जुटे हुए है, इधर, बिलासपुर से आने वाली ट्रैक्यूलाइजर टीम 7.30 बजे तक मौके पर पहुंच पाई, तब तक काफी अंधेरा हो चुका था, जिसे देखते हुए सुबह रेस्क्यू आपरेशन चलाए जाने की संभावना जताई जा रही है। वहीं पूरे दिन मनेन्द्रगढ़ और जनकपुर से पहुंचे पशु चिकित्सक सिर्फ हथिनी और बच्चे की हरकत देखते रहे। ट्रैक्यूलाइजर टीम के नहीं पहुंचने से किसी भी प्रकार का इलाज पूरे दिन नहीं हो सका।
दल में 3 नर और दो मादा हाथी
वन विभाग की माने तो दल में 3 नर हाथी है और दो मादा है, बीमार छोटा हाथी भी नर बताया जा रहा है। दूर से देख रहे पशु चिकित्सकों के अनुसार बीमार हाथी के पैर में चोट है, वहीं वन विभाग बता रहा है कि हाथी का पेट फूला हुआ था और उसे पेट की गड़बड़ी के कारण वो बीमार हो गया है। हालांकि अभी तक संभावनाओं पर ही पूरा मामला अटका हुआ है। बताया जाता है कि हथिनी को बेहोश करने का फरमान जारी कर दिया है, परन्तु अब उसे साथ तीन और हाथियों के आ जाने से उनके बेहोश करने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
हथिनी ने सूंड से उठाकर फेंका
बीते कई घंटे से अपने बच्चे को उठाने की कोशिश में जुटी उसकी मां के सामने एक व्यक्ति गणेश भगवान की पूजा करने पहुंच गया, पहले तो उसे वन विभाग के अमले ने रोका और उसे भगा भी दिया, अचानक वन विभाग के लोगों से नजर बचा कर वो हथिनी के करीब जा पहुंचा और उसकी पूजा करने लगा, फिर क्या था हथिनी ने उसे सूंड में लपेट दूर फेंक दिया और साथ लाए नारियल की तरफ दौड़ पड़ी, जिससे व्यक्ति की जान बच गयी, इसी बीच उक्त व्यक्ति ने भाग कर अपनी जान बचाई, हथिनी ने उसके द्वारा लाए नारियल को उठाया और उसे दूर ले जाकर फेंक दिया।
तीन परिक्षेत्र के कर्मचारी तैनात
मनेन्द्रगढ वनमंडल में पहुंचा 5 हाथियों के दल ने काफी उत्पात मचा रखा है, जिसे देखते हुए कुंवारपुर, बहरासी और जनकपुर रेंज के कर्मचारियों की टीम तैनात की गई है। ये टीम दिन रात हाथियों की आवाजाही, ग्रामीणों की सुरक्षा में तैनात है। समय समय पर ग्रामीणों को हाथियों से बचने की सलाह भी दे रहे है, इसके अलावा हाथियों को सुरक्षित जंगल में भेजने की भी कोशिश कर रहे है, परन्तु ये दल बीते तीन दिनों से यहां से जाने को तैयार नहीं है, वहीं दल के एक सदस्य की हालत बिगडने से हाथी और यहीं जम गए है।
बिना ट्रैक्यूलाइजर गन के वनकर्मी
वन विभाग ने मानव हाथी द्वंद रोकने के लिए बनाई रणनीति में ट्रैक्यूलाइजर गन के प्रयोग को लेकर हाथी प्रभावित क्षेत्रों में किसी को प्रििश्क्षत नहीं किया, कोरिया के दोनों वनमंडल में कोई भी इस गन को नहीं चला सकता है और ना ही ये गन यहां है। जिसके कारण बिलासपुर से इस टीम के आने का इंतजार करना होता है। इस गन में हाथी के बेहोश होने की मात्रा में क्लोरोफार्म डला होता है, हाथी को लगते की वह कुछ देर में बेहोश हो जाता है। यह गन सिर्फ हाथियों के लिए ही नहीं वरन अन्य वन्य जीवों को काबू में लाए जाने के लिए प्रयुक्त की जाती है। लगातार हाथियों की आवाजाही और उत्पात के साथ बेकाबू होने जैसे विशेष परिस्थिति के लिए ट्रैक्यूलाइजर गन के प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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